वाहन क्षेत्र में जुड़े निम्न/मध्यमवर्गीय का शोषण, सरकारें चुप आख़िर क्यों ?

एनबीएफसी, प्रशासनिक अधिकारियों और न्यायतंत्र की मिलीभगत का दूसरा नाम ऑटो माफिया

भारत देश में परिवहन क्षेत्र में लगकर अपना और अपने परिवार के भरण पोषण में लगे निम्नवर्गीय/मध्यमवर्गीय लोगो का खुल कर एनबीएफसी कंपनियों और ऑटो माफियाओं द्वारा शोषण और अत्याचार किसी से भी छुपा हुआ नही है ।

सबसे बड़ी बात सबको (भारत सरकार, राज्य सरकारें, प्रशासनिक अधिकारी और न्यायतंत्र) इसकी पूर्ण जानकारी है फिर भी सभी साथ दे रहे हैं ऑटो माफिया और एनबीएफसी कंपनियों का, आख़िर क्यों !

दिल्ली के परिवहन आयुक्त आशीष कुंद्रा द्वारा अपने पद की ताकत का प्रयोग करते हुए दिल्ली में वाहनों के लिए कर्जा देने वाले बैंको, एनबीएफसी को परिवहन विभाग के साथ इंटीग्रेटेड होने पर बाध्य कर दिया पर जनहित और वाहन मालिको के हित का कही ध्यान नहीं रखा जबकि दुनिया मे इस कार्य को करने के लिए नाम दिया गया था जनहित में। यह तो आशीष कुंद्रा ही बेहतर समझा सकते है की इस कार्य को करने से किसका हित हुआ क्योंकी अधिकतर जनता/वाहन मालिकों को इसके होने के बाद से दिक्कतें बढ़ गई ।

दिल्ली में ई रिक्शा / ऑटो खरीदने या अन्य कारणो से इन वाहनों पर कर्जा लेने के लिए ऑटो माफिया के चंगुल में फस जाते हैं क्योंकि सरकारी बैंक से उन्हें कर्जा नही मिल पाता।

भारत सरकार के राजस्व मंत्रालय और रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया के आदेशों/ दिशा निर्देशों को माने तो कोई भी कर्जा नगद राशि में लिया या दिया नही जा सकता पर ऑटो माफियाओं और एनबीएफसी कंपनियों पर शायद यह नियम/ आदेश/ दिशा निर्देश लागू नहीं होता या दूसरे शब्दो में उनकी पकड़ न्यायतंत्र, प्रशासनिक अधिकारियों और सरकारों से इतनी अधिक है की उन्हे इस नियम को दरकिनार करने से कोई दिक्कत नही।

वाहन क्षेत्रों में इस तरह के पैसों के चलन से जनता की सुरक्षा को तो खतरा है ही पर शायद राज्य सरकारें, प्रशासनिक अधिकारी और न्यायतंत्र यह नही देखना चाहते की देश को भी खतरा (उग्रवादी, अलगाववादी, गलत प्रवृत्ति और नशे में) बनता है। काले धन का इतना बड़ा प्रवाह और सभी की जानकारी में होने के बावजूद फलीभूत होना साफ़ संदेश देता है की यह कार्य सभी की मिलीभगत से हो रहा है।

इस बात को सभी के समक्ष सिद्ध करने के पुख्ता सबूत परिवहन विशेष समाचार पत्र कार्यालय में उपलव्ध, कुछ और सबूत प्राप्त करने हेतू मेहनत की जा रही है जिससे कुछ विशेष अधिकारियो, जिला अधिकारियो और नेताओं के नाम भी घोषित किए जा सके।

संजय बाटला

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