दिल्ली परिवहन विभाग अपने वर्चस्व और हठधर्मी के लिए क्या नही कर सकता, जाने !!!

दिल्ली परिवहन विभाग अपने वर्चस्व को कायम करने के लिए जनहित का नाम लेकर दिल्ली के वाहन मालिकों को परेशान करने की हठ पर अड़ा हैं, क्या जनता को परेशानी में देखकर ही खुशी मिलती हैं या हैं कोई अंदरूनी कारण ?

मोटर वाहन नियम अधिनियम के अलावा भारत देश के सविधान के तहत मौलिक अधिकार के अंदर किसी की संपत्ति/वाहन/ अधिकारिक सामानों पर कर्जा लेना या कर्जा उतारना या उस पर किसी के लिए जमानत देना मालिक की इच्छा पर निर्भर करता है, क्या परिवहन विभाग को इसकी जानकारी नहीं।

दिल्ली परिवहन विभाग अपने स्वयं के कानून / नियम
वह भी बिना कानूनी प्रक्रिया पूरी करे,
बिना नियमों कानून में संशोधन करे,
बिना गैजेट नोटीफिकेशन में जारी किए, जनहित का नाम लेकर जनता को परेशानी में डालने के आदेश जारी कर रहा है। आखिर क्यों ? क्या दिल्ली और भारत सरकार ने दिल्ली परिवहन विभाग को निधि एवम् कानून मंत्रालय का कार्यभार भी सौप दिया है ?

दूसरे के निजी मामलो और व्यवसाय में दखलंदाजी करना और जनता को परेशानी में डालना क्या परिवहन विभाग के कार्य शैली में निमित है?

बैंको द्वारा अपनी निजी वाहनों पर लोन लेना आज की नई प्रक्रिया नही है ऐसे में अपने निजी फायदे के लिए वाहन मालिक और फाइनेस करने वालों के बीच में अपना वर्चस्व स्थापित करना क्या परिवहन विभाग का कार्य है ?

जनता को मदद करने के नाम से जनता को ही परेशान करना कहा का ओचित्य है वह भी सिर्फ अपने वर्चस्व कायम करने के लिए, किस कानून में ऐसे किए जाने वाले कार्य को जनहित में कहा गया है।

परिवहन विभाग एनबीएफसी कंपनियों और बैंकों में अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहता है तो जरूर करे पर जनता को जरिया बनाकर यह कहा का इंसाफ है?

कुछ दिन पहले परिवहन विभाग द्वारा जनहित में आदेश पारित किया गया था । वाहनों में लगे स्पीड गवर्नर डिवाइस की एएमसी के लिए कोई भी अधिकृत डीलर 500 रुपए से ज्यादा नही लेगा पर आज तक उस पर परिवहन विभाग अमल नही करवा सका आखिर क्यों ?

क्या परिवहन विभाग देगा जनता को जवाब ???

दिल्ली परिवहन विभाग द्वारा इस आदेश के पारित होने के बाद परेशान जनता हुई और आज भी हो रही है और जब जनता को समझ आया परिवहन विभाग कुछ नहीं करेगा तो चुप चाप डीलर द्वारा मांगे जाने वाले पैसे देने शूरू कर दिए । क्या यह ही होता है जनहित का आदेश?

अब परिवहन विभाग बैंको और एनबीएफसी कंपनियों में अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए जनहित का नाम लेकर आदेश पारित कर जनता को खून के आसू निकलवाने में लगा है, आखिर क्यों?

बैंको और एनबीएफसी कंपनियों के द्वारा आनलाइन कार्य परिवहन विभाग के दिशा निर्देश से शूरू ना करने वालों को अपनी ताकत दिखाने के चक्कर मे जो लोग वाहन खरीद चुके उनके वाहन पंजीकृत करने से बंद करवा दिए, आखिर इससे कोन होगा परेशान?

परिवहन विभाग बताएगा:- आखिर कहा है गैजेट नोटीफिकेशन जिसमे यह कहा गया है दिल्ली में जो एनबीएफसी कंपनी या बैंक परिवहन विभाग के आदेश को नही मानेगा उसकी एचपी एडीशन नही की जाएगी, क्या परिवहन विभाग बताएगा कब मोटर वाहन नियम अधिनियम में इसे बदलने के लिए जनता के समक्ष जनता की राय के लिए प्रस्तुत किया गया था,

क्या दिल्ली परिवहन विभाग को किसी की राय की आवश्कता ही नहीं जो दिल में आया वह आदेश जारी कर लागू कर दिया। क्या यह जनहित है ?

दिल्ली परिवहन विभाग को जनता को परेशान करने का कारण नही बनना चाहिए इसलिए जो व्यक्ति अपने वाहनों पर एचपी एडिशन करवाना चाहता है उसके लिए बिना विलम्ब एचपी एडिशन करने के आदेश कर देने चाहिए ।

दिल्ली परिवहन विभाग को अपने वर्चस्व कायम करने की प्रक्रिया बैंकों और एनबीएफसी कंपनियों पर चलानी चाहिए ना कि दिल्ली की जनता पर!!!

दिल्ली परिवहन विभाग क्या जनता को बताएगा दिल्ली सरकार की अपनी फाइनेस कंपनियों ने अभी तक आनलाइन कार्य परिवहन विभाग के साथ शुरू क्यों नहीं किया ??? डीएफसी, डीएफआईडीसी जैसे जो वाहनों पर लोन देते हैं और एससी एसटी एवम् अन्य बहुत जनता के वाहन वहा से लोन पर है।

इसके लिए परिवहन विभाग को जैसे दिल्ली में माननीय उच्चतम न्यायालय ने डीजल वाहन चलने से बंद के आदेश पारित कर दिए थे पर फिर भी चलाने वालों को पहले कुछ दिन 500 रुपए जुर्माना फिर कुछ दिन 1000 रुपए जुर्माना और फिर 2000 जुर्माना भरने के बाद चलने की इजाजत देने के आदेश साथ में पारित किए थे जनहित में वैसे ही परिवहन विभाग को जो बैंक और एनबीएफसी कंपनी परिवहन विभाग का दबाव / वर्चस्व नही मानते उसके द्वारा करे जाने वाले हर लोन एचपी एडिशन पर उससे जुर्माना जमा करवाने के आदेश पारित करने चाहिए और अन्त में भी नहीं माने तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर उसको दिल्ली में वाहनों पर लोन देने के लिए ब्लैक लिस्ट करवाने का प्रयास करना चाहिए।

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इस प्रक्रिया से जनता भी परेशान नही होगी और परिवहन विभाग के द्वारा राजस्व में इज़ाफ़ा भी करवाया जाएगा और अपना दबाव सभी बैंको और एनबीएफसी कंपनियों पर स्थापित करने में कामयाब हो जाएंगे और सभी आनलाइन कार्य जैसा परिवहन विभाग चाहता है शुरू करने लगेगे।

जनहित में जारी
संजय बाटला

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