परिवहन विभाग (स्क्रैपिंग सेल) द्वारा दिल्ली की जनता के लिए अद्भुत आदेश

परिवहन विभाग के आला अधिकारियो की जनहित में जारी पॉलिसी के कारण दिल्ली की जनता को
a. ना तो अधिकृत ई वाहन किट लगाने वाले मिलने दिए,
b. ना ही दिल्ली का अपना अधिकृत स्क्रैप डीलर मिलने दिया,
c. ना ही दिल्ली की जनता के पक्ष में एनजीटी/वायु गुणवक्ता कमिटी/माननीय उच्चतम न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करने का प्रयास किया,
d. दिल्ली में स्वयं डीजल वाहनों को 15 वर्ष की आयु प्रदान करने के बाद भी वाहनों को अपने ही प्रिय स्क्रैप डीलरो को अपनी ताकत का गलत प्रयोग कर के सुपुर्द करने का कार्य कर रहे हैं,

आप सभी की जानकारी हेतु बता दें की किसी भी राज्य के परिवहन विभाग का
1. पहला दायित्व वहा की जनता को सुखद, विश्वसनीय और सुरक्षित सार्वजानिक सवारी सेवा उपलव्ध करवाना :- जो दिल्ली परिवहन विभाग आज में करवाने में विफल साबित हो रहा है।
2. दूसरा दायित्व है जनहित में जनता को घर के पास परिवहन विभाग की शाखाओं को प्रदान करना :- आज दिल्ली परिवहन विभाग पहले से बनी शाखाओं को जनहित का नाम लेकर बंद करने में प्रयासरहित है,
3. राज्य की जनता को उनकी जरुरत अनुसार सुरक्षित / दुर्घटना रहित / जाम मुक्त सड़के उपलब्ध करवाना :- दिल्ली परिवहन विभाग इसे उपलव्ध करवाने में पूर्ण रूप से विफल है,

दिल्ली परिवहन विभाग के आला अधिकारी जनहित के नाम का प्रयोग कर जितनी भी पालिसी बना कर लागू करने में व्यस्त हैं उससे सिर्फ परिवहन विभाग के प्रिय उद्योगपतियों / व्यवसायियों को ही मिल रहा है ना की राज्य की जनता को।

हम पहले भी आप को कई बार सबूतों के साथ यह दिखा और बता चुके है कैसे परिवहन विभाग गैर कानूनी तरीके से पैसे वसूल कर राजस्व में इज़ाफ़ा करने में लगा हुआ है।

अब आपके वाहनों जिनकी माननीय न्यायालय के आदेश से सिर्फ सड़को पर चलाना वर्जित हुआ है उसे भी डरा धमकाकर / अपनी ताकत का दुरुपयोग कर आदेश पारित कर अपनें प्रिय स्क्रैप डीलरो को सुपुर्द करवाकर उनको कमाई करवाने में लग गए, कितना जनप्रिय है ना आदेेश

दिल्ली से बाहर के पंजीकृत / अधिकृत स्क्रैप डीलरो में से अपनी पसन्द के चार डीलरो को अपनी इच्छा से दिल्ली के अलग अलग क्षेत्रो के वाहनो को परिवहन विभाग की ताक़त से उठाकर स्क्रैप करने का कार्य सोप दिखाया, कितना जनहित और जनप्रिय है ना यह आदेश

दिल्ली की जनता अगर एम.वी.एक्ट के अनुसार या माननीय न्यायालय के आदेशो की अवहेलना करता पाया जाता हैं तो प्रवर्तन शाखा के अधिकारी/कर्मचारियों द्वारा चालान कटवा कर अपनी पिट में जमा करना हो सकता है ना कि किसी अन्य को वाहन सुपुर्द करवाना।

पूर्ण सच को सबूतों के साथ जानने के लिए सोमवार को परिवहन विशेष का अंक और यूट्यूब पर न्यूज़ ट्रांसपोर्ट विशेष पर विडियो एवम् समाचार देखना ना भुलना।

संजय बाटला

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