क्या दिल्ली सरकार और परिवहन विभाग सच में चाहते है महिला सशक्तिकरण या इस दिखावे के पीछे है कोई और छुपा कारण, बड़ा सवाल???

दिल्ली के सरकारी विभागों उनकी शाखाओं एवम् निकायों में जहां भी महिलाए कार्यरत हैं सभी जगह महिलाओ को जो मान सम्मान और सरकारी सहयोग मिलना चाहिए वह दिल्ली में मांगने के बाद भी नहीं मिलता यह बात सदा सामने आती रहीं हैं ।

दिल्ली में
मेडिकल सेवा में महिलाओ का हाल,
आंगन वाड़ी में महिलाओ का हाल,
डीटीसी में कार्यरत महिलाओ का हाल, और अन्य सभी विभागों की महिलाओं द्वारा लगातार सरकार से मांग सामने आती रहीं हैं।

दिल्ली में जब से आम आदमी पार्टी की सरकार बनी है उस दिन से आज तक तो दिल्ली सरकार और उसके किसी भी विभाग में एक भी नियमित नौकरी दिल्ली में किसी को ना तो दी गई है और ना ही मिलने की उम्मीद नज़र आ रही है।

ऐसे में दिल्ली परिवहन विभाग द्वारा महिला सशक्तिकरण के प्रति इतनी जागरूकता दिखाना दिल्ली की महिलाओं के लिए सोच का कारण बनता जा रहा है।

दिल्ली के व्यवसायिक वाहनों में रोजगार के प्रति महिलाओ को जागरुक करना और उसके लिए मदद के लिए सामने आना एक अच्छा कदम है पर इन महिलाओ जो परिवहन विभाग के विज्ञापनों से प्रभावित होकर आगे आ रही है की सुरक्षा के प्रति अभी तक परिवहन विभाग द्वारा कोई दिशा निर्देश या आदेश पारित नही किया, आख़िर क्यों ?

आप लोगो को याद होगा दिल्ली परिवहन निगम की एक कंडक्टर की हत्या और कुछ दिन पहले ही बस में कार्यरत सिविल डिफेंस के पद की महिला द्वारा आत्महत्या की कोशिश हो चुकी है।

ऐसे में परिवहन विभाग को महिलाओ की सुरक्षा, नौकरी और वेतन की गारंटी के प्रति दिशा निर्देश और आदेश जारी करने चाहिए।

जनहित में जारी :- संजय बाटला

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