गर्मियों में स्किन संबंधी तमाम ऐसी समस्याएं होती हैं, जो महिलाओं को परेशान करती हैं। जिसके लिए महिलाएं अलग पार्लर में जाती हैं, या फिर घर पर घरेलू नुस्खे ट्राई करती हैं। जिससे की तेज धूप और चिलचिलाती गर्मी से अपनी त्वचा का ध्यान रखा जा सकता है। बता दें कि ऐसा ही एक उपाय तुलसी टोनर है। वहीं लोगों के घरों में तुलसी का पौधा लगा भी होता है। तुलसी में कई ऐसे गुण पाए जाते हैं। जो आपकी त्वचा को बैक्टीरिया और जर्म से बचाने का काम करते हैं। तुलसी की पत्तियों की मदद से आप तुलसी टोनर बनाकर तैयार कर सकती हैं। आइए जानते हैं टोनर बनाने का तरीका… सामग्री तुलसी की पत्तियां- 10-12 गुलाबजल- 2 चम्मच ग्लिसरीन- 1 चम्मच ऐसे बनाएं तुलसी टोनर सबसे पहले पैन में एक गिलास पानी को उबाल लें। जब पानी अच्छे से उबल जाए तो उसमें तुलसी की पत्तियां डाल दें। अब पानी को ठंडा हो जाने दें। फिर उस पानी में गुलाबजब और ग्लिसरीन मिक्स कर दें। पानी को अच्छे से मिक्स कर एक बोतल में भर लें। इस तरह से आपका टोनर बनकर तैयार हो गया है। फेस पर अप्लाई करने का तरीका इसे अप्लाई करने से पहले फेस को अच्छे से साफ कर लें। इसके बाद फेस पर इस टोनर को स्प्रे करें। आप चाहें तो इसे कॉटन की मदद से भी अप्लाई कर सकती हैं। जब यह टोनर सूख जाए तो लोशन अप्लाई करें। इसके फायदे तुलसी में एंटीबैक्टीरियल और एंटी फंगल गुण के होने से मुंहासे और स्किन इंफेक्शन की समस्या दूर होती है। इसकी मदद से स्किन की एजिंग समस्या भी दूर होती है। गर्मियों में तुलसी टोनर अप्लाई करना काफी बेस्ट माना जाता है। क्योंकि इससे आपनी स्किन भी हाइड्रेट रहती हैं। वहीं इसमें मौजूद गुलाबजल और ग्लिसरीन आपके चेहरे की नमी को बरकरार रखता है। जिसके चलते आपकी स्किन ग्लोइंग बनती है। तुलसी का टोनर आपकी स्किन के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसक लगाने से ग्लो बना रहता है। साथ ही गुलाब जल और ग्लिसरीन आपकी स्किन को टाइट रखने का काम करता है। इस टोनर के इस्तेमाल से आपकी स्किन में पीएच बैलेंस बना रहता है। स्किन के ढीले होने और झुर्रियों से भी निजात दिलाता है।
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बारिश के मौसम में किचन को रखना चाहती हैं फ्रेश, तो
बारिश का मौसम ऐसा होता है कि आप चाहे घर की कितनी भी सफाई कर लो, लेकिन गंदगी हो ही जाती है। बारिश का पानी और धूल मिट्टी के कारण हमारा किचन न सिर्फ गंदा होता है, बल्कि नमी होने के कारण इसकी साफ-सफाई करने पर भी यह जल्दी सूखता नहीं है। वहीं ज्यादा समय तक नमी और गीलापन होने से मक्खी, कॉकरोच और छोटे-छोटे भुनगे आने लगते हैं। ऐसे में किचन की साफ-सफाई सही तरीके से करना बेहद जरूरी होता है। आज हम आपको इस आर्टिकल के किचन हाइजीन से जुड़े कुछ ऐसे टिप्स के बारे में बताने जा रहे हैं। जिन्हें फॉलो कर आप भी अपने किचन को चमका सकती हैं। पोछा कपड़ा किचन की फर्श से लेकर बर्तन तक को पोंछने के लिए हम कई सारे कपड़ों का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि इससे साफ-सफाई करना काफी आसान होता है। लेकिन बारिश के मौसम में कपड़ों को सुखा पाना एक मुश्किल टास्क होता है। ऐसे में आप बारिश के मौसम में कपड़े की जगह वाइप्स का उपयोग करें। इससे सफाई भी हो जाएगी। साथ ही किचन के कपड़ों को सुखाने का झंझट भी खत्म हो जाएगा। वाइपर बर्तन धोने के बाद सिंक के आस पास और स्लेब में पानी भर जाता है। वहीं बारिश में नमी होने के कारण यह जल्दी सूखता भी नहीं है। जिसकी वजह से जर्म्स और गंदगी फैलने का डर होता है। इसे साफ करने के लिए आप किचन के कपड़े की जगह वाइपर का इस्तेमाल करें। वाइपर की मदद से स्लैब जल्दी सूख जाएगा। लिक्विड डिशवॉश का करें इस्तेमाल बर्तन धोने के लिए लोग डिशवाश बार का इस्तेमाल करते हैं। बता दें कि यह बाकी महीनों के लिए तो अच्छा होता है, लेकिन मानसून में नमी के कारण गीला होने पर गलने लगता है और साबुन की खपत भी ज्यादा होती है। ऐसे में बर्तन धोने के लिए आप होममेड लिक्विड डिश वॉश का इस्तेमाल करें। बर्तन रखने वाली टोकरी बर्तनों को साफ सुथरा और जल्दी सुखाने के लिए आपको अपने किचन में सिंक के पास एक जाली वाली टोकरी को रखना चाहिए। जिसमें आप बर्तन धोकर रख सकें। ऐसे में बर्तन में मौजूद पानी सीधे सिंक में बह जाएगा और बर्तन भी जल्दी सूख जाएंगे।
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आजकल की खराब लाइफस्टाइल के चलते लोगों का वजन तेजी से बढ़ने लगा है। वहीं कई तरह की बीमारियों की वजह से भी लोगों का वजन बढ़ता है। ऑफिस के काम के प्रेशर के कारण लोगों को योग व एक्सरसाइज करने का मौका नहीं मिलता है। वहीं बाहर का जंक फूड खाने से आपके शरीर में अनहेल्दी फैट बढ़ने लगता है। जिसकी वजह से वेट धीरे-धीरे बढ़ने लगता है। वहीं बढ़ते मोटापे की वजह से कई तरह की बीमारियां शुरू होने लगती है। बता दें कि अगर आप अपनी डाइट और लाइफस्टाइल में थोड़े से बदलाव करते हैं, तो आप आसानी से मोटापे से मुक्ति पा सकते हैं। वजन कम करने के लिए आप सौंफ और चिया सीड्स को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। सौंफ और चिया सीड्स में फाइबर भरपूर मात्रा पायी जाती है। जो आपके पाचन तंत्र को बेहतर कर वेट कम करने में मदद करता है। आइए जानते हैं कि सौंफ और चिया सीड्स की मदद से आप किस तरह अपने वेट को कंट्रोल में कर सकते हैं। मेटाबॉलिज्म करता है बूस्ट बता दें कि सौंफ और चिया सीड्स में एनेथाल पाया जाता है। यह पाचन एजाइम्स बढ़ाने में मदद करता है। साथ ही मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है। इससे आपकी एक्स्ट्रा कैलोरी तेजी से बर्न होती है। मेटाबॉलिज्म बूस्ट होने से वेट धीरे-धीरे कम होता है। जिससे आपके सभी अंगों को ऊर्जा मिलती है। इससे एनर्जी लेवल भी बढ़ता है। फाइबर से भरपूर चिया सीड्स और सौंफ में फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसके सेवन से कब्ज की समस्या नहीं होती है। वहीं पेट फूलना, गैस और एसिडिटी की समस्या से भी राहत मिलती है। इसके सेवन से पाचन क्रिया बेहतर होने के साथ ही वेट भी तेजी से कम होता है। भूख होती है कंट्रोल सौंफ और चिया सीड्स में भूख को कंट्रोल करने के गुण पाए जाते हैं। इसके सेवन से आपको बार-बार भूख भी नहीं लगती है। जिससे मोटापा कंट्रोल होता है। वहीं चिया सीड्स में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन की प्रचुर मात्रा पायी जाती है। यह भूख को कंट्रोल करने में सहायक होती है। ब्लड शुगर चिया सीड्स में कार्बोहाइड्रेट भी पाया जाता है। जो चीनी को ब्लड में अवशोषित करने की प्रक्रिया को धीमा करता है। इससे ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है। इससे आपका वेट भी नहीं बढ़ता है। एंटी इंफ्लेमेटरी गुण चिया सीड्स और सौंफ ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया जाता है। जो शरीर की सूजन को कम करने के साथ फैट को घटाने में सहायक होता है। इससे आपका वेट तेजी से घटता है। ऐसे करें सेवन सबसे पहले एक बर्तन में करीब डेढ़ गिलास पानी गर्म कर लें।जब पानी हल्का गुनगुना हो जाए तो इसमें सौंफ और चिया सीड्स को उबाल लें।अब करीब 10-15 मिनट तक उबालने के बाद पानी को एक गिलास में छान लें। इसके बाद पानी में एक चम्मच शहद डालकर अच्छे से मिक्स कर दें।अगर आप बेहतर रिजल्ट पाना चाहते हैं, तो इसका सुबह खाली पेट सेवन करें।
View More पेट की चर्बी को मक्खन की तरह पिघला देगा सौंफ और चिया सीड्स का मिश्रण, ऐसे करें सेवनहार्मोन्स में होने वाली गड़बड़ी को झट से ठीक कर देंगे ये फूड्स
हार्मोन्स का संतुलित रहना स्वस्थ रहने के लिए बेहद जरूरी है। बता दें कि हार्मोन्स हमारे शरीर में बनने वाले एक केमिकल की तरह है। जो खून के जरिए शरीर के दूसरे अंगो में पहुंचता है। हार्मोन इम्बैलेंस होने पर शरीर में कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं। हार्मोन इम्बैलेंस होने पर तनाव, खराब पाचन-तंत्र, नींद की कमी और मूड स्विंग्स जैसे लक्षण दिखते हैं। वहीं हार्मोन इम्बैलेंस होने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें खराब लाइफस्टाइल, फिजिकल एक्टिविटी न करना और संतुलित भोजन न करना आदि शामिल है। कई बार लोग हार्मोन इम्बैलेंस की गड़बड़ी को नजरअंदाज करते रहते हैं। जिसके कारण बाद में कई तरह की दिकक्तें खड़ी हो सकती हैं। हार्मोन को संतुलित करने के लिए आपको अपनी डाइट में कुछ ऐसे फूड्स को शामिल करना चाहिए। जो इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ ही हार्मोन्स को भी संतुलित करते हैं। वहीं हार्मोन्स के संतुलित होने पर व्यक्ति मानसिक तौर पर मजबूत होता है और बिन वजह थकान नहीं होती। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको हार्मोन को संतुलित करने वाले कुछ फूड्स के बारे में बताने जा रहे हैं। अलसी के बीज अलसी के बीज हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। अलसी के बीज में सोडियम, फाइबर, पोटेशियम, आयरन और विटामिन-सी के गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा इसमें ओमेगा-3 और ओमेगा-6 भी पाया जाता है, जो शरीर को स्वस्थ रखने के साथ ही हार्मोन्स को भी संतुलित करता है। दही या सलाद के साथ आप अलसी के बीज का सेवन कर सकते हैं। हरी सब्जियां हेल्थ एक्सपर्ट्स भी डाइट में हरी सब्जियों को शामिल करने की सलाह देते हैं। हरी सब्जियों के सेवन से शरीर की कमजोरी दूर होने के साथ इम्यूनिटी भी मजबूत होती है। क्योंकि हरी सब्जियों में पोटेशियम, आयरन, प्रोटीन, विटामिन बी6 और विटामिन-सी, सोडियम और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। हरी सब्जियों में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स हार्मोन्स को संतुलित करने के साथ ही शरीर को ताकत देते हैं। हल्दी हम सभी जानते हैं कि हल्दी में तमाम तरह के गुण पाए जाते हैं और यह स्वास्थ्य के लिए अच्छी मानी जाती है। बता दें कि हल्दी में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। हल्दी हार्मोन्स संतुलित करने के साथ ही महिलाओं में होने वाली पीसीओएस की समस्या भी कम होती है। साथ ही इसके सेवन से इम्यूनिटी भी बढ़ती है। सूरजमुखी के बीज सूरजमुखी के बीज में आयरन, प्रोटीन, विटामिन बी6 और विटामिन-सी, सोडियम, फाइबर और पोटेशियम पाया जाता है। सूरजमुखी के बीच को अपनी डाइट में शामिल करने से पाचन तंत्र मजबूत होने के साथ ही वजन भी कंट्रोल होता है। एवोकाडो हार्मोन्स को बैलेंस करने के लिए एवोकाडो का सेवन किया जा सकता है। एवोकाडो में फाइबर, पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन, सोडियम और प्रोटीन पाया जाता है। इसके सेवन से न सिर्फ पाचन तंत्र से संबंधित समस्याएं दूर होती हैं और हार्ट भी स्वस्थ रहता है। ऐसे में अगर आपको हार्मोन इम्बैलेंस की दिक्कत हो रही है, तो आपको अपनी डाइट में एवोकाडो जरूर शामिल करना चाहिए।
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पौड़ी उत्तराखंड में पौड़ी के थलीसैंण में गुरुवार देर रात बादल फटने से भारी तबाही हुई है। थलीसैंण-पीठसैंण-बुंगीधार मोटर मार्ग पर बगवाड़ी गांव के समीप पुल के एक हिस्से का पुश्ता क्षतिग्रस्त हो गया है। जिससे चौथान पट्टी के पांच से अधिक गांवों की आवाजाही ठप हो गई है। जबकि पट्टी के 80 गांवों की आवाजाही प्रभावित हुई है। पट्टी के ग्रामीणों को भीड़ा-जसपुर-उफरैंखाल मोटर मार्ग से 30 किमी का अतिरिक्त फेरा लगाना होगा। इस आपदा से पट्टी के रौली गांव के एक ग्रामीण की गौशाला बह गई है। जिसमें 10 बकरियां व दो बैल लापता हैं। जबकि एक बकरी का शव बरामद हो गया है। साथ ही रौली और बगवाड़ी गांव के ग्रामीणों के खेत बह गए हैं। थलीसैंण ब्लाक के चौथान पट्टी में लगातार हो रही बारिश के बीच रौली गांव के समीप बीते गुरुवार रात करीब डेढ़ बजे बादल फटने की घटना हुई। जिसके बाद पास का गदेरा उफान पर आ गया। जिसमें रौली गांव के ग्रामीण चंदन सिंह की गौशाला बह गई। ग्रामीण के अनुसार, गौशाला में दो बैल व 11 बकरियां थी। अभी सिर्फ एक बकरी बरामद हुई है। जबकि अन्य लापता हैं। घटना की सूचना मिलने पर राजस्व पुलिस, लोनिवि बैजरों के अधिकारी-कर्मचारी मौके पर पहुंचकर आपदा में हुई क्षति का आंकलन करने में जुट गए हैं। नायब तहसीलदार थलीसैंण आनंदपाल ने बताया कि पुल पर आवाजाही बंद होने से चौथान पट्टी के बगवाड़ी, व्यासी, रणगांव, सुंदरगांव, पीठसैंण आदि गांवों का यातायात ठप हो गया है। खतरे की जद में आया मकान एनटी आनंदपाल ने कहा कि रौली गांव में एक मकान भू-स्खलन की जद में आ गया है, लेकिन उस मकान में कोई नहीं रहता है। साथ ही रौली गांव में पेयजल लाइन टूटने से जलापूर्ति भी बंद हो गई है। एनटी आनंद पाल ने कहा कि आपदा से हुई क्षति का आंकलन किया जा रहा है। प्रभावितों को जल्द ही मानकानुसार मुकावजा प्रदान किया जाएगा। इस अवसर पर कानूनगो भीम सिंह असवाल, राजस्व उपनिरीक्षक जितेंद्र रावत, सहायक अभियंता लोनिवि सुशील कुमार आदि मौजूद रहे।
View More पौड़ी में बादल फटा, गौशाला बहने से कई मवेशी लापता, 80 से ज्यादा गांवों की आवाजाही प्रभावितबदरीनाथ हाईवे कई जगह खुला, कर्णप्रयाग-रानीखेत हाईवे के पास धंसी सड़क
चमोली प्रदेश में बारिश के बाद मलबा आने से जगह-जगह मार्ग बंद हो गए हैं। रुद्रप्रयाग-गौरीकुण्ड राष्ट्रीय राजमार्ग में भी मलबा आ गया है। विभाग की ओर से मार्ग को खोलने का प्रयास किया जा रहा है। राज्यभर में 313 मार्ग बंद हुए हैं। टिहरी में लक्ष्मोली हिसरियाखाल जामणीखाल, तुणगी भटकोट मोटर मार्ग एवं गौमुख डोम मोटर मार्ग सहित कई मार्गों में मलबा आया है। गैरसैंण के पास कालीमाटी में धंसी सड़क चमोली जिले के कर्णप्रयाग गैरसैंण के पास काली माटी में कर्णप्रयाग-रानीखेत हाईवे सड़क धंसने से बंद हो गया है। यहां पर सड़क के नीचे भूस्खलन होने से करीब 15 मीटर सड़क धंस गई है। जिससे कर्णप्रयाग व गैरसैंण की ओर जाने वाले वाहनों की आवाजाही ठप हो गई है। हाईवे के दोनों ओर कई वाहन फंसे हैं। चमोली पुलिस और स्थानीय लोगों की ओर से कार्यदाई संस्था को अवगत करा दिया गया है। एनएच के एई अंकित सागवान ने कहा कि कालीमाटी में सड़क का निरीक्षण करने के लिए मौके पर जेई को भेज दिया गया है। बदरीनाथ हाईवे नंदप्रयाग, पीपलकोटी, पागल नाला में अवरुद्ध बदरीनाथ हाईवे नंदप्रयाग, पीपलकोटी, छिनका और पागल नाले में सुचारु हो गया है। यहां जेेसीबी से मलबे का निस्तारण किया गया, लेकिन अभी तक टंगड़ी में हाईवे बाधित है, जिसे खोलने का काम जारी है। बीती रात हुई भारी बारिश के बाद बदरीनाथ हाईवे नंदप्रयाग, पीपलकोटी, पागल नाला में अवरुद्ध हो गया था। हाईवे के दोनों ओर यात्रा वाहनों की लंबी लाइन लगी रही। हाईवे पर करीब 1500 तीर्थयात्री और स्थानीय लोग फंसे हुए थे। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदकिशोर जोशी ने बताया कि हाईवे को जल्द ही वाहनों की आवाजाही के लिए सुचारू कर दिया जाएगा।
View More बदरीनाथ हाईवे कई जगह खुला, कर्णप्रयाग-रानीखेत हाईवे के पास धंसी सड़कगंगोत्री-यमुनोत्री व बदरीनाथ हाईवे बंद, बारिश का रेड अलर्ट, उत्तरकाशी में कल स्कूल रहेंगे बंद
देहरादून उत्तराखंड में आज भी मौसम बिगड़ा हुआ है। प्रदेशभर में बारिश ने परेशानी खड़ी कर दी है। भूस्खलन और मलबा आने से गंगोत्री-यमुनोत्री और बदरीनाथ हाईवे बंद हो गए हैं। यमुनोत्री हाईवे पर राना चट्टी से आगे झर्झरगाड़ के पास 100 से अधिक भू-धंसाव हो गया है। ऋषिकेश-बदरीनाथ हाईवे सिरोहबगड़ में भी बंद है। जिससे वाहनों की लंबी कतार लग गई है। उधर, केदारनाथ हाइवे पर भी जगह जगह पत्थर गिर रहे हैं। हाईवे को खोलने का काम जारी है लेकिन बार-बार बारिश होने से मलबा हटाने में दिक्कतें आ रही हैं। वाहनों को सुरक्षा की दृष्टि से धरासू बैंड में पुलिस ने रोक दिया है। गंगोत्री हाईवे बंदरकोट में बंद होने के चलते पुलिस ने वाहनों को ओपन टनल से पहले रोक दिया है। उत्तरकाशी में बंद रहेंगे स्कूल आगामी दो दिन भारी बारिश के अलर्ट को को देखते हुए उत्तरकाशी में कल 12 जुलाई को कक्षा एक से 12 तक के सभी स्कूल ओर आंगनबाड़ी केंद्र बंद रहेंगे। उफान पर खीरगंगा हर्षिल घाटी के धराली में खीरगंगा उफान पर है। खीरगंगा के उफान पर आने से धराली बाजार को खतरा पैदा हो गया है। वहीं, हर्षिल और गंगोत्री घाटी मे दो दिन से विद्युत आपूर्ति ठप है। फाटा में बाइक सवार की मौत रुद्रप्रयाग जिले में केदारनाथ मार्ग पर फाटा में सुबह दर्दनाक हादसा हो गया। हाईवे पर एक बाइक हादसे का शिकार हो गई। जिसमें एक यात्री की मौत हो गई। गुर्जर डेरे में घुसा पानी लैंसडोन वन प्रभाग की कोटद्वार रेंज के अंतर्गत गुर्जर डेरे में तेली श्रोत का पानी घुस गया। वन कर्मियों में रेस्क्यू कर गुर्जरों की सुरक्षित निकाला। रेंज अधिकारी अजय ध्यानी ने बताया कि सभी लोग सुरक्षित हैं।
View More गंगोत्री-यमुनोत्री व बदरीनाथ हाईवे बंद, बारिश का रेड अलर्ट, उत्तरकाशी में कल स्कूल रहेंगे बंदछह माह में रिकॉर्ड 1.06 करोड़ सैलानियों ने निहारीं हिमाचल की वादियां
शिमला साल 2023 के पहले छह माह में रिकॉर्ड 1.06 करोड़ सैलानियों ने हिमाचल की वादियां निहारी हैं। प्रदेश में पहली बार जून तक ही सैलानियों की संख्या एक करोड़ पार हो गई है। अभी फेस्टिवल और विंटर सीजन आना है। ऐसे में प्रदेश में आने वाले सैलानियों की संख्या इस साल और अधिक बढ़ने की संभावना है। इससे पहले साल 2019 में जनवरी से जून तक सबसे अधिक 90.61 लाख सैलानी देवभूमि हिमाचल पहुंचे थे। अप्रैल से जून तक प्रदेश के विभिन्न पर्यटन स्थलों में आने वाले सैलानियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हुई है। अप्रैल में करीब 15 लाख, मई में 21 लाख और जून में 25 लाख सैलानी हिमाचल प्रदेश पहुंचे। जनवरी से मार्च तक प्रतिमाह 12 से 13 लाख सैलानियों का आना हुआ। सुक्खू सरकार ने प्रदेश का राजस्व बढ़ाने के लिए पर्यटन क्षेत्रों को अपनी प्राथमिकता में रखा है। कांगड़ा को पर्यटन राजधानी का दर्जा तक दिया है। कोरोना संकट के दौरान सैलानियों की संख्या में दो साल तक आवाजाही में कुछ कमी रही। इसे बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार ने विशेष प्रयास किए। ऐसे राज्य जहां से हिमाचल में लोग कम आते हैं, वहां विशेष फोकस किया गया। पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत में जाकर ट्रेड फेयर आयोजित किए गए। पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों को अन्य राज्यों में भेज कर हिमाचल के पर्यटन स्थलों का प्रचार-प्रसार किया गया। जिसके चलते इस साल जून तक ही प्रदेश में आने वाले सैलानियों की संख्या बढ़कर एक करोड़ पहुंच गई है। जुलाई के पहले सप्ताह में जब प्रदेश में प्राकृतिक आपदा आई, उस समय कुल्लू-मनाली में ही करीब 70 हजार सैलानी मौजूद थे। सरकार ने सभी सैलानियों को सुरक्षित निकाल कर घरों तक पहुंचाया है। अब व्यवस्थाओं को पटरी पर लौटाने की कवायद शुरू हो गई है। सितंबर से प्रदेश में फेस्टिवल सीजन शुरू होगा। इसके बाद नवंबर से विंटर सीजन का आगाज होगा।
View More छह माह में रिकॉर्ड 1.06 करोड़ सैलानियों ने निहारीं हिमाचल की वादियांमनाली के जगतसुख और कुल्लू के सैंज में फटा बादल, घर छोड़कर भागे ग्रामीण
मनाली (कुल्लू) :मनाली के जगतसुख गांव में रात पौने 12 बजे बादल फट गया। इसके बाद नाले से सड़क पर मलबा आ गया, जो सड़क तक पहुंच गया। इससे मार्ग अवरुद्ध हो गया। वहीं कुल्लू के सैंज में बादल फटा है। पाशी गांव में ग्रामीणों को घर छोड़कर भागना पड़ा। सैंज बाजार भी प्रशासन ने सुबह चार बजे खाली करवाया दिया है। पाशी गांव में बदल फटने से लोगों में दहशत का माहौल है। उधर मौसम विभाग ने चार दिनों तक बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। इससे लोगों को राहत के आसार नहीं है। प्रदेश में आगामी चार दिनों तक भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी हुआ है। 26 जुलाई तक मौसम खराब रहने का पूर्वानुमान है। आनी, निचार, सांगला में भारी बारिश के चलते 22 जुलाई तक स्कूलों में छुट्टियां कर दी गई हैं। गुरुवार शाम तक प्रदेश में 676 सड़कें और 1,138 बिजली के ट्रांसफार्मर बंद रहे।
View More मनाली के जगतसुख और कुल्लू के सैंज में फटा बादल, घर छोड़कर भागे ग्रामीणखनन सामग्री नहीं मिली तो लटक जाएगा ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल का काम, परियोजना की राह में चुनौती
देहरादून प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना पर्याप्त मात्रा में खनन सामग्री उपलब्ध न होने की वजह से लटक सकती है। अगले चार महीनों में परियोजना के तहत सुरंग खोदने का काम पूरा होने की संभावना है। इसके बाद के कार्य के लिए रेलवे विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) को दो करोड़ मीट्रिक टन से अधिक अच्छी गुणवत्ता वाली खनन सामग्री की आवश्यकता होगी। चिंता की वजह है प्रदेश की नदियों में मशीनों की सहायता से खनन करने पर न्यायालय की रोक लगी होना। निगम प्रबंधन को प्रोजेक्ट समय पर पूरा करने के लिए भारी मात्रा में लगातार अच्छी गुणवत्ता की आरबीएम की जरूरत है। इसके लिए निगम ने शासन से प्रोजेक्ट के आसपास की कुछ नदी क्षेत्रों में खनन की अनुमति मांगी है। इस मामले में आरवीएनएल के मुख्य परियोजना प्रबंधक ने सचिव परिवहन अरविंद सिंह ह्यांकी को पत्र लिखकर प्रकरण में सहयोग की अपील की है। पत्र में कहा गया है कि बड़ी मात्रा में खनन सामग्री मशीनों के बगैर जुटाना संभव नहीं हो पाएगा। ऐसे में परियोजना को समय पर पूरा करने में मुश्किल हो सकती है। साथ ही प्रोजेक्ट की लागत में भी बढ़ोतरी हो जाएगी। रास्ता निकालने के लिए संबंधित विभागों के उच्चाधिकारियों की एक बैठक कराने का अनुरोध भी किया है। 2024-25 में प्रोजेक्ट पूरा करने का लक्ष्य आरवीएनएल के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग परियोजना को 2024-25 तक बनाने का लक्ष्य है। लेकिन परियोजना की राह में आ रही चुनौतियों के देखते हुए इसमें देरी होने की संभावना है। परियोजना निर्माण में जरूरी आरबीएम न मिलने से यह दिक्कत और गंभीर हो सकती है।
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