आंखों में जब इंफेक्शन होता है तो इसे कंजंक्टिवाइटिस कहते हैं। आम भाषा में समझने के लिए इसे आई फ्लू भी कहा जा सकता है। आई फ्लू का खतरा सबसे अधिक बदलते मौसम के दौरान होता है। बारिश के मौसम में जहां आमतौर पर ही इंफेक्शन वाली बीमारियों का खतरा बढ़ने लगता है वहीं इस दौरान आई फ्लू का खतरा भी अधिक हो जाता है। आई फ्लू या कंजंक्टिवाइटिस ऐसी समस्या है जिसमें आंखों में जलन, खुजली होती है। इस बीमारी में आमतौर पर आंखे लाल हो जाती है। आंखों का ये इंफेक्शन अगर जल्दी ठीक नहीं किया जाए तो इसकी चपेट में अन्य लोग भी आ सकते है। ऐसे में इंफेक्शन का इलाज करना काफी जरुरी होता है। वैसे तो आई फ्लू से निपटने के लिए कई तरह के आई ड्रॉप आते हैं, लेकिन डॉक्टर की सलाह के बिना केमिस्ट की सलाह पर आई ड्रप का उपयोग नहीं करना चाहिए। कई बार बिना जानकारी के आई ड्रप डालने पर परेशानी अधिक हो सकती है। मगर इस बीमारी को ठीक करने के लिए डॉक्टर से ही इलाज करवाना चाहिए। ये हैं लक्षण आई फ्लू में इंफेक्शन होने वाले व्यक्ति की आंखें लाल हो जाती है। इस दौरान आंखों से पानी निकलता है। आंखों में काफी सूजन भी होती है। ऐसे आंखों से गंदगी निकलती है। इन सभी कारणों की वजह से आंखों से साफ दिखाई नहीं देता है। ऐसे फैलता है संक्रमण इस बीमारी में संक्रमण संपर्क में आने से होता है। यानी किसी आईफ्लू पीड़ित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद ही संक्रमण शिकार बना सकता है। संक्रमण तब भी हो सकता है जब संक्रमित व्यक्ति खास देता है या छिंक देता है। ऐसे में इस बीमारी से बचाव का सबसे बेहतर उपाय है कि एहतियात बरती जाए। संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाकर रखें और स्वच्छता बनाए रखें। आमतौर पर आई फ्लू को ठीक होने में पांच से 10 दिन लगते है। इन उपायों से होता है बचाव – इस बीमारी से बचने का मुख्य उपाय है कि समय समय पर हाथों को साफ किया जाए। हाथ धोते रहने से गंदे हाथ आंखों पर नहीं पड़ते है। इससे संक्रमण होने से बचाव होता है। – आंखों को बार बार छूने से बचें। आंखों पर जब बार बार हाथ नहीं पड़ेगा तो आंखों में इंफेक्शन होने का खतरा भी कम रहेगा। – इस बीमारी से बचने के लिए आसपास सफाई रखना बेहद महत्वपूर्ण है। – आंखों को नियमित अंतराल पर धोते रहें और इनकी सफाई भी रखें। – घर से बाहर निकलते समय अधिक एहतियात बरतें और आंखों को चश्मे से कवर कर रखें। – अगर कोई पीड़ित व्यक्ति है तो उसके संपर्क में ना आएं। – आई फ्लू से संक्रमित व्यक्ति द्वारा उपयोग किए गए सामान का इस्तेमाल ना करें। खासतौर से बेड, तौलिया, कपड़े, गद्दा आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए। – आई फ्लू होने पर टीवी, मोबाइल या किसी भी प्रकार की डिजिटल स्क्रीन से दूरी बनाकर रखनी चाहिए। इन उपायों को अपनाएं – अगर आंखों में अधिक दर्द हो या परेशानी अधिक हो तो आंखों को ठंडे पानी से धोएं। – आंखों को गुलाब जल से भी साफ करें। ये इंफेक्शन कम करने में सहायक होता है। – आंखों में डॉक्टर की सलाह से ही कोई भी ड्रॉप डालें।
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खर्राटों की वजह से झेलनी पड़ती है शर्मिंदगी
ऐसे तो सोते समय खर्राटे आना एक आम समस्या है। लेकिन आपके खर्राटे के कारण दूसरों की नींद खराब होती है। इसके साथ ही परिवार के अन्य सदस्यों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। खर्राटे की समस्या होने पर कई बार शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। कुछ लोग खर्राटों से निजात पाने के लिए कई तरह के उपाय आजमाते हैं। लेकिन इससे कोई बहुत ज्यादा लाभ देखने को नहीं मिलता है। अगर आप भी इस समस्या से परेशान हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए है। खर्राटे की समस्या से निजात पाने के लिए आपको अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव करने की जरूरत है। इसके साथ ही डेली रूटीन में नीचे बताई गई मुद्रा को शामिल करने से आप खर्राटे की समस्या को कंट्रोल कर सकते हैं। इस आर्टिकल के जरिए हम आपको खर्राटे को कंट्रोल करने वाली एक असरदार मुद्रा के बारे में बताने जा रहे हैं। लेकिन उससे पहले यह जानना बेहद जरूरी है कि आखिर खर्राटे आने का कारण क्या है। खर्राटे आने के कारण नींद की कमी बढ़ता वजन थकान स्मोकिंग अल्कोहल तनाव खर्राटे से निजात पाने वाली मुद्रा हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, खर्राटों की समस्या को कम करने के लिए आदि मुद्रा एक असरदार तकनीक है। इस मुद्रा को कोई भी व्यक्ति कर सतता है। अगर आप अपनी डेली रुटीन में इस मुद्रा को शामिल करते हैं और 10-15 मिनट कर इस मुद्रा को करने के आपको बेहतर रिजल्ट प्राप्त होंगे। इस मुद्रा को करने से बॉडी में ऑक्सीजन का फ्लो अच्छा रहने के साथ ही लंग्स की कार्यक्षमता भी बढ़ती है। इस मुद्रा को डेली रूटीन में शामिल करने से दिमाग शांत होता है और नर्वस सिस्टम अच्छे से काम करता है। इस मुद्रा को करने से खर्राटे से राहत मिलती है। ऐसे करें आदि मुद्रा सबसे पहले पीठ को सीधा करके बैठ जाएं। अब अपने अंगूठे को छोटी उंगली के किनारे पर रखें। फिर बाकी उंगलियों को अंगूठे से कवर कर मुट्ठी बनाएं। इसके बाद हाथों को घुटनों या फिर अपनी जांघों पर रखें। फिर आंखें बंद रखें, इस मुद्रा को करने के दौरान सांस लेते और छोड़ते रहें। आदि मुद्रा के फायदे यह मुद्रा कोर्टिसोल के लेवल को कम करने के साथ ही मन को शांत करती हैं। पेट को स्वस्थ रखने के साथ ही हड्डियों और मसल्स को मजबूती मिलती है। सांस संबंधी रोगों के निजात मिलने के साथ ही बैड कोलेस्ट्रॉल कम होता है। यह मुद्रा दिल को हेल्दी रहती है। लो ब्लड प्रेशर से परेशान लोगों को इस मुद्रा से फायदा मिलती है। आदि मुद्रा करने से पैंक्रियाज के काम को बेहतर करती है। इसके साथ ही ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है।
View More खर्राटों की वजह से झेलनी पड़ती है शर्मिंदगीनींबू पानी के सेवन से आपके दांतों में हो सकती है समस्या
सेहत के लिए नींबू पानी कई तरह से लाभकारी माना जाता है। क्योंकि नींबू विटामिन सी का एक बेहतर स्त्रोत होता है। नींबू पानी से इम्यूनिटी को मजबूती मिलती है। वहीं यह भी बताया गया है कि नींबू पानी के सेवन से हमारा शरीर डिटॉक्सिफाई होता है और शरीर के विषाक्तता भी कम होती है। यह हमारे मेटाबॉलिज्म में सुधार करता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि नींबू पानी के सेवन के दौरान अधिकतर लोग एक बड़ी गलती कर बैठते हैं। जिसके कारण उनके दांतो को गंभीर जोखिम भी हो सकता है। ऐसे में अगर आप भी रोजाना सुबह या फिर प्रतिदिन नींबू पानी पीते हैं, तो इससे संबंधित एक सावधानी के बारे में जानना जरूरी हो जाता है। क्योंकि बहुत सारे लोगों को नींबू पानी पीने के सही तरीके के बारे में नहीं मालूम होता है। ऐसे में उन लोगों में दांत सबंधी समस्याएं शुरू होने लगती हैं। दांतों को नुकसान नींबू पानी की तरह कोई भी अम्लीय पदार्थ हो, यह दांतों के इनेमल के क्षरण का कारण बन सकता है। बता दें कि यह इनेमल दांतों का पतला बाहरी आवरण होता है। इससे दांतों को मजबूती मिलती है। ऐसे में अगर आप अधिक अमिलीय चीजों को खाते पीते हैं, तो समय के साथ ही इनेमल को नुकसान होने लगता है। जिससे आपके दांतों का पहला सुरक्षात्मक आवऱण हट जाता है और डेंटिन की परत दिखने से दांतों में संवेदनशीलता महसूस होने लगती है। झनझनाहट और संवेदनशीलता दांतों से इनेमल हट जाने से दांत पीले दिख सकते हैं और जीभ में खुरदरापन का एहसास हो सकता है। यही बाद में दांतों में झनझनाहट और संवेदनशीलता की समस्या बढ़ाने का काम करती है। ऐसे में अगर आप कुछ भी ठंडा या गर्म खाते हैं, तो आपके दांतों में तेज झनझनाहट व दर्द का एहसास होने लगता है। यह इसी बात का संकेत है कि आपके दांत कमजोर हो रहे हैं और इनकी विशेष देखभाल किए जाने की जरूरत है। नींबू पानी पीने का सही तरीका अगर आप सही तरीके से नींबू पानी पीते हैं, तो इससे दांतों को होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है और लाभ भी प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए नींबू पानी पीते समय कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है। आपके गिलास की जगह स्ट्रॉ के जरिए नींबू पानी का सेवन करना चाहिए। इस तरीके से अम्ल सीधे दांत के संपर्क में नहीं आता है। नींबू पानी या कोई भी अम्लीय पदार्थ पीने के फौरन बाद कुल्ला कर लेना चाहिए। इससे दांत एसिड से बच जाते हैं। नींबू पानी का सेवन करने के बाद शुगर फ्री गम चबाना चाहिए। क्योंकि यह आपके मुंह में अधिक लार उत्पन्न कर अम्लता को कम करता है।
View More नींबू पानी के सेवन से आपके दांतों में हो सकती है समस्याएक्सरसाइज के बाद कच्चा पनीर खाना कितना फायदेमंद
फिटनेस फ्रीक और एक्सरसाइज करने वाले लोगों के मन में डाइट और फिटनेस से जुड़े कई सवाल घूमते रहते हैं। ऐसा ही एक सवाल है कि क्या एक्सरसाइज के बाद पनीर खाया जा सकता है। लेकिन उससे पहले आपका यह जानना जरूरी है कि एक्सरसाइज के बाद लोगों को पनीर खाना क्यों पसंद है। बता दें कि पनीर में अमीनो एसिड पाया जाता है। जिससे मसल्स को ग्रोथ करने और रिपेयर होने में सहायता मिलती है। पनीर में प्रोटीन पाया जाता है और प्रोटीन से मसल्स को मजबूत होने में मदद मिलती है। वहीं शरीर को एनर्जी भी मिलती है। बता दें कि पनीर में सेलेनियम, मैंगनीज, कैल्शियम, कॉपर, जिंक और फास्फोरस जैसे जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह सभी पोषक तत्व मसल्स के लिए काफी फायदेमंद होते हैं। लेकिन एक्सरसाइज के बाद पनीर खाना फायदेमंद है या नहीं यह हम आपको आगे आर्टिकल में बताने जा रहे हैं। क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स अगर आपके दिमाग में भी यह सवाल है कि क्या आप एक्सरसाइज के बाद पनीर का सेवन कर सकते हैं, तो बता दें कि पोस्ट-वर्कआउट मील के तौर पर आप पनीर का सेवन कर सकते हैं। लेकिन एक्सरसाइज के फौरन बाद पनीर खाने से बचना चाहिए। पनीर खाने और एक्सरसाइज के बीच कम से कम 1 घंटे का अंतर होना चाहिए। अगर आप एक्सरसाइज के फौरन बाद पनीर का सेवन करते हैं। तो यह ठीक से पच नहीं पाएगा। क्योंकि एक्सरसाइज के समय ब्लड फ्लो मसल्स की ओर रुख करता है। एक्सरसाइज के दौरान मसल्स को ज्यादा ऑक्सीजन और एनर्जी की जरूरत होती है। वहीं एक्सरसाइज करने के बाद मसल्स को रिपेयर करने के लिए ब्लड फ्लो मसल्स पर फोकस करता है। वहीं कम से कम 1 घंटे का समय ब्लड सर्कुलेशन को सामान्य होने में लगता है। ऐसे में आप अगर एक्सरसाइज के फौरन बाद पनीर का सेवन करते हैं, तो ब्लड फ्लो और पाचन-तंत्र के बीच सही से तालमेल नहीं बैठेगा। इससे आपको अपच व गैस की समस्या भी हो सकती है। एक्सरसाइज के बाद पनीर का सेवन अगर आप एक्सरसाइज के फौरन बाद पनीर खाने जा रहे हैं और आपके दिमाग में यह सवाल आ रहा है कि इसे आप कच्चा खा सकते हैं, या पकाने के बाद। तो बता दें कि एक्सरसाइज के बाद आप चाहें तो कच्चा पनीर खा सकते हैं और पका हुआ पनीर भी खा सकते हैं। कच्चे और पके हुए पनीर के पोषक तत्वों में ज्यादा फर्क नहीं होता है। हालांकि हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि एक्सरसाइज के बाद आपको पकाया हुआ पनीर खाना चाहिए। हेल्थ एक्सपर्ट्स ऐसा इसलिए भी कहते हैं, क्योंकि पनीर जल्दी बासी हो जाता है। वहीं दूसरा कारण यह है कि अगर आप बाजार से पनीर खरीदते हैं तो इसके खराब होने की भी आशंका रहती है। लेकिन अगर आप पनीर को पका कर खाते हैं तो यह आपकी सेहत को न के बराबर नुकसान पहुंचाएगा। हालांकि अगर आप घर का बनाया पनीर खा रहे है, तो आप इसे कच्चा भी खा सकते हैं। आपको बता दें कि पके हुए पनीर में मौजूद प्रोटीन आसानी से पच जाता है। इसके लिए आप पनीर को हल्का रोस्ट कर लें। इसके बाद उसपर जीरा पाउडर, नमक और लाल मिर्च डालकर खा सकते हैं। कितना पनीर खाएं वर्कआउट या एक्सरसाइज के बाद आप कम से कम 100 ग्राम पनीर का सेवन कर सकते हैं। 100 ग्राम पनीर से आपके शरीर को 20 ग्राम प्रोटीन मिलेगा। बता दें कि 100 ग्राम पनीर पूरे दिन की मात्रा है। एक दिन में एक व्यक्ति को 100 ग्राम से अधिक पनीर का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसे में अगर आपके मन में भी यह सवाल है कि क्या एक्सरसाइज से पहले आप पनीर का सेवन कर सकते हैं, तो इसका जवाब है कि एक्सरसाइज करने के 1 घंटे पहले आप पनीर का सेवन कर सकते हैं। क्योंकि अगर आप 1 घंटे का अंतर नहीं रखेंगे तो पनीर जल्दी पच नहीं पाएगा और इससे आपके शरीर को प्रोटीन से मिलने वाली एनर्जी भी नहीं मिल पाएगी।
View More एक्सरसाइज के बाद कच्चा पनीर खाना कितना फायदेमंदडबल चिन की वजह से कम हो गई है चेहरे की रौनक
नई दिल्ली: इन दिनों तेजी से बदलती जीवनशैली का असर न सिर्फ हमारे जीवन में, बल्कि हमारी सेहत पर भी नजर आ रहा है। इसके अलावा लोग काम के बढ़ते प्रेशर की वजह से खराब जीवनशैली का शिकार होते जा रहे हैं। साथ ही उनके खाने-पीने की आदत भी तेजी से बदलती जा रही है। अक्सर बिजी रहने और समय के अभाव की वजह से ज्यादातर लोग जंक फूड और तला-भुना खाना खा रहे हैं। इसकी वजह से कई तरह की शारीरिक समस्याएं लोगों को अपना शिकार बना रही हैं। तेजी से बढ़ता वजन इन्हीं समस्याओं में से एक है, जिससे आजकल लगभग हर कोई परेशान है। इसके अलावा इन दिनों कई लोग डबल चिन की वजह से भी परेशान रहने लगे हैं। गलत खान-पान का असर हमारी सेहत पर साफ नजर आता है। गले और ठुड्डी के बीच अनहेल्दी फैट जमा होने की वजह से अक्सर डबल चिन की शिकायत होने लगती है। अगर आप भी डबल चिन की समस्या से परेशान हैं, तो हम आपको कुछ ऐसी एक्सरसाइज के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें नियमित रूप से करने से आप 15 दिन में ही डबल चिन से छुटकारा पा सकते हैं। पाउट करें लड़कियां अक्सर फोटो क्लिक करते समय पोज देने के लिए पाउट इस्तेमाल करती हैं, लेकिन अगर हम आपसे कहे कि डबल चिन से छुटकारा पाने के लिए भी आप पाउट का इस्तेमाल कर सकते हैं, तो क्या आप इस पर यकीन करेंगे। दरअसल, ऐसा करना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि पाउट करने से डबल चिन की समस्या दूर होती है। इसके लिए आपको चेहरे को सीधा रखते हुए फोटो को स्ट्रेच करते हुए बाहर की तरफ निकालना है। 7 से 8 सेकंड की इस पोजिशन को आप दिन में कम से कम 5 से 10 बार कर सकते हैं। जबड़े की एक्सरसाइज डबल चिन से निजात पाने के लिए आप जबड़े की एक्सरसाइज भी ट्राई कर सकते हैं। इसके लिए सिर को दाएं तरफ मोड़ें और फिर निचले जबड़े को आगे की ओर करते हुए 5 से 10 सेकंड तक इसी पोजिशन में रुकें। इसके बाद बाएं तरफ भी यही प्रक्रिया दोहराएं। दिन में 5 बार ऐसा करने से फायदा मिलेगा। टंग स्ट्रेच करें अगर आप डबल चिन से जल्द से जल्द छुटकारा पाना चाहते हैं, तो उसके लिए टंग स्ट्रेच एक्सरसाइज कर सकते हैं। इसे करने के लिए अपने चेहरे को सीधा रखते हुए जीभ को बाहर निकालकर नाक की तरफ ऊपर करने की कोशिश करें। ऐसा करने से मांसपेशियों में खिंचाव आएगा, जिससे वेट लॉस होगा। दिन में 7 से 10 बार इस एक्सरसाइज को करने से जल्द ही असर नजर आने लगा।
View More डबल चिन की वजह से कम हो गई है चेहरे की रौनकस्ट्रेस हार्मोन बढ़ने से तनाव ही नहीं, वजन और हृदय रोगों का भी रहता है खतरा
कोर्टिसोल हार्मोंन को स्ट्रेस हार्मोन के रूप में भी जाना जाता है, यह शरीर को तनावपूर्ण स्थितियों में पर्याप्त रूप से प्रतिक्रिया करने में मदद करती है। सामान्यतौर पर माना जाता है कि अगर आपका कोर्टिसोल बढ़ा हुआ रहता है तो आपको चिंता विकार, तनाव और डिप्रेशन जैसी समस्याओं के होने का खतरा भी अधिक हो सकता है। भले ही कोर्टिसोल को स्ट्रेस हार्मोंन के रूप में जाना जाता है पर शरीर में इसके कई अन्य कार्य भी होते हैं। यानी इसकी अधिकता और कमी दोनों ही स्थितियां शरीर के लिए हानिकारक दुष्प्रभावों वाली हो सकती हैं। मेडिकल रिपोर्ट्स से पता चलता है कि हमारा शरीर अन्य हार्मोंन्स की तरह इसका भी निरंतर उत्पादन करता रहता है। यह शरीर के लगभग हर अंग और ऊतक को प्रभावित करता है। तनाव प्रतिक्रिया को नियंत्रित करने के साथ शरीर में फैट, प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट के उपयोग, मेटाबॉलिज्म, नमक और पानी के संतुलन, वजन और स्मृति को भी नियंत्रित करने में इसकी भूमिका होती है। कोर्टिसोल हार्मोन के बारे में जानिए कोर्टिसोल हार्मोन एड्रिनल ग्रंथि द्वारा निर्मित होता है। स्वस्थ व्यक्ति में कोर्टिसोल, दिन के अलग-अलग समय पर बढ़ता और घटता रहता है। लाइफस्टाइल और कुछ शारीरिक स्थितियां कोर्टिसोल के स्तर को प्रभावित कर सकती हैं, जैसे हाइपोथायरायडिज्म, संक्रमण और व्यायाम में कमी आदि। बढ़ा हुआ स्तर हृदय के लिए समस्याकारक जिन लोगों में कोर्टिसोल हार्मोंन का स्तर अक्सर बढ़ा हुआ रहता है उनमें अन्य लोगों की तुलना में हृदय रोगों की समस्या होने का खतरा भी बढ़ जाता है। असल में तनाव की प्रतिक्रिया में कोर्टिसोल हार्मोन स्रावित होता है। अध्ययनों से पता चलता है कि लंबे समय तक तनाव या कोर्टिसोल का उच्च स्तर ब्लड कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स, ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर को भी बढ़ा देता है, ये हृदय रोगों के जोखिम कारक हैं। इससे वजन बढ़ने का भी रहता है खतरा कोर्टिसोल हार्मोन का बढ़ा हुआ स्तर आपके मीठे, वसायुक्त और नमकीन खाद्य पदार्थों के खाने की इच्छा को काफी बढ़ा देता है। यही कारण है कि तनावग्रस्त व्यक्ति को इन चीजों की तीव्र इच्छा होती है। इसका मतलब यह भी है कि आप संतुलित भोजन की तुलना में उन चीजों का अधिक सेवन करने लगते हैं, जिनसे शरीर में फैट बढ़ने का खतरा अधिक होता है। इससे कुछ ही समय में आपका वजन तेजी से बढ़ने लगता है। यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि अधिक वजन की समस्या भी कोर्टिसोल के स्तर को बढ़ाने का कारण बन सकती है। हाई कोर्टिसोल के इन लक्षणों के बारे में भी जानिए कोर्टिसोल का स्तर बढ़ने की स्थिति में पूरे शरीर पर इसका असर हो सकता है। ऐसे कई संकेत और लक्षण हैं जो बताते हैं कि आपके शरीर में कोर्टिसोल स्तर बढ़ा हुआ हो सकता है। चेहरे में सूजन, मूड में बदलाव, थकान और कम नींद आने की दिक्कत, अनियमित मासिक धर्म, हाई ब्लड प्रेशर, अत्यधिक प्यास लगना भी संकेत है कि आपके हार्मोन का स्तर ठीक नहीं है। ऐसी स्थितियों में डॉक्टर की सलाह जरूर लें।
View More स्ट्रेस हार्मोन बढ़ने से तनाव ही नहीं, वजन और हृदय रोगों का भी रहता है खतरामानसून में बचना है पेट के संक्रमण से, तो इन बातों का रखें याद
नई दिल्ली: बारिश के दिनों में दूषित जल और खाद्य पदार्थों से होने वाली बीमारियों का बढ़ना स्वाभाविक है। इस समय पेट दर्द और संक्रमण की शिकायतें बढ़ जाती हैं और यह समस्या देश के ज्यादातर हिस्सों में है। इसे स्टमक फ्लू भी कहा जाता है। दस्त, पेचिस और उल्टी की दिक्कत देखी जा रही है। दस्त के साथ ब्लड आने की भी शिकायत देखी जाती हैं। इन दिनों पीलिया होने पर एक-दो दिन बुखार रहता है और फिर उल्टियां होती हैं। इसके बाद आंखों, त्वचा और यूरिन के पीला होने की दिक्कतें आने लगती हैं। इस मौसम में हेपेटाइटिस-ए और ई के भी मामले सामने आते हैं। पीलिया का मुख्य कारण है-दूषित भोजन और पानी का सेवन। दूषित खाद्य से बढ़ती समस्या अगर बुखार चार-पांच दिन से ऊपर चला जाता है, तो टायॉइड होने की आशंका बढ़ जाती है। विषाक्त भोजन, दूषित जल, बाहरी पानी-पूरी या गन्ने का जूस पीने से भी पेट का संक्रमण हो सकता है। मौसमी परिवर्तन के चलते कॉलरा (हैजा) की आशंका रहती है। पेट के संक्रमण से बचाव का आसान तरीका यही है कि भोजन से पहले और बाद में हाथों को अच्छी तरह से साफ करें। भोजन को ढककर रखें। इन दिनों भोजन चार से पांच घंटे में खराब होने लगता है। इसलिए भोजन को फ्रिज में रखें। हवा की नमी से जोखिम आर्द्रता अधिक होने से खान-पान और शारीरिक श्रम दोनों को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है। हवा में नमी बढ़ने से बैक्टीरिया पनपने की गुंजाइश अधिक रहती है। इससे संक्रमण की आशंका बढ़ जाती है। जो लोग सर्दी-खांसी से पीड़ित हैं, उन्हें यह ध्यान रखना चाहिए कि छींकते या खांसते समय ड्रॉपलेट इधर-उधर न गिरने दें। उन गंदे हाथों से चेहरे को न छुएं। बचाव के लिए मास्क का प्रयोग कर सकते हैं। डायबिटीज और ब्लड प्रेशर में अधिक सतर्कता मधुमेह, कैंसर या किडनी आदि बीमारियों से जूझ रहे लोगों की प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) पहले से कम हो चुकी होती है। ऐसे लोगों को नियमित दवाएं लेने के साथ-साथ खानपान का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। कोविड टीकाकरण की ही तरह कई अन्य बीमारियों के लिए भी मरीजों को टीका दिया जाता है। टीकाकरण बेहतर उपाय मानसून में इन्फ्लूएंजा यानी फ्लू जैसी दिक्कतें सामान्य हैं। इन दिनों निमोनिया और टायफॉइड भी बढ़ता है। इन तीनों बीमारियों के लिए टीकाकरण बेहतर विकल्प है। कम उम्र के मधुमेह रोगियों और खासकर, जो लोग अक्सर बाहर का भोजन करते हैं, उन्हें हेपेटाइटिस-ए का टीकाकरण जरूर कराना चाहिए। ध्यान रखने वाली जरूरी बातें अगर सिरदर्द, बुखार या ठंड लग रही है, तो सिर्फ पैरासिटामोल की ही गोली लें। निमूस्लाइड, कांबिफ्लेम जैसी दवाएं जो तुरंत बुखार को कम कर देती हैं, वे कभी-कभी खतरनाक हो सकती हैं। बिना डॉक्टर की सलाह के उनका सेवन न करें। पैरासिटामोल की गोली 24 घंटे में तीन से चार बार ली जा सकती है। अगर एक-दो दिन में बुखार नहीं उतर रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। उल्टी और दस्त की ही समस्या है, तो भी खुद से दवा न लें। डॉक्टर से परामर्श करें, क्योंकि ये लक्षण हेपेटाइटिस के भी हो सकते हैं। हेपेटाइटिस अगर गंभीर हो जाता है, तो लिवर को नुकसान पहुंचा सकता है। ध्यान रखें छोटा सा संक्रमण कई बार लापरवाही की वजह से गंभीर रूप ले सकता है। इन बातों का रखें ध्यान अगर किसी बीमार व्यक्ति से मिल रहे हैं, तो स्वच्छता का ध्यान रखें। सामान्य वायरल डायरिया एक दिन बाद ठीक हो जाता है। इसमें मरीज को दूध से परहेज कर दही का सेवन करना चाहिए। रक्तचाप से ग्रस्त लोग, जो दवाइयों का सेवन कर रहे हैं, लूज मोशन या उल्टी होने पर ब्लडप्रेशर माप कर ही दवाएं लें, क्योंकि इन बीमारियों में रक्तचाप नीचे आ जाता है। अगर बीपी 120 और 70 से ऊपर है, तभी दवाई लें, अन्यथा न लें। खान–पान का रहे ध्यान किसी कारण बाहर खाना खा रहे हैं, तो ध्यान रखें कि वह अच्छी तरह से पका, उबला या गर्म होना चाहिए। कटे हुए फल, बाहर की चटनी, सलाद, कटी हुई प्याज, पानी-पूरी आदि के सेवन से बचें। दही में कुछ प्राकृतिक तत्व हैं, जो पेट को राहत पहुंचाते हैं। शरीर में पानी की कमी न होने दें। नारियल पानी, ओआरएस घोल या शिकंजी भी ले सकते हैं।
View More मानसून में बचना है पेट के संक्रमण से, तो इन बातों का रखें यादगर्मियों में स्किन पर लगाएं तुलसी का टोनर, ग्लोइंग और यंग दिखेगी आपकी स्किन
गर्मियों में स्किन संबंधी तमाम ऐसी समस्याएं होती हैं, जो महिलाओं को परेशान करती हैं। जिसके लिए महिलाएं अलग पार्लर में जाती हैं, या फिर घर पर घरेलू नुस्खे ट्राई करती हैं। जिससे की तेज धूप और चिलचिलाती गर्मी से अपनी त्वचा का ध्यान रखा जा सकता है। बता दें कि ऐसा ही एक उपाय तुलसी टोनर है। वहीं लोगों के घरों में तुलसी का पौधा लगा भी होता है। तुलसी में कई ऐसे गुण पाए जाते हैं। जो आपकी त्वचा को बैक्टीरिया और जर्म से बचाने का काम करते हैं। तुलसी की पत्तियों की मदद से आप तुलसी टोनर बनाकर तैयार कर सकती हैं। आइए जानते हैं टोनर बनाने का तरीका… सामग्री तुलसी की पत्तियां- 10-12 गुलाबजल- 2 चम्मच ग्लिसरीन- 1 चम्मच ऐसे बनाएं तुलसी टोनर सबसे पहले पैन में एक गिलास पानी को उबाल लें। जब पानी अच्छे से उबल जाए तो उसमें तुलसी की पत्तियां डाल दें। अब पानी को ठंडा हो जाने दें। फिर उस पानी में गुलाबजब और ग्लिसरीन मिक्स कर दें। पानी को अच्छे से मिक्स कर एक बोतल में भर लें। इस तरह से आपका टोनर बनकर तैयार हो गया है। फेस पर अप्लाई करने का तरीका इसे अप्लाई करने से पहले फेस को अच्छे से साफ कर लें। इसके बाद फेस पर इस टोनर को स्प्रे करें। आप चाहें तो इसे कॉटन की मदद से भी अप्लाई कर सकती हैं। जब यह टोनर सूख जाए तो लोशन अप्लाई करें। इसके फायदे तुलसी में एंटीबैक्टीरियल और एंटी फंगल गुण के होने से मुंहासे और स्किन इंफेक्शन की समस्या दूर होती है। इसकी मदद से स्किन की एजिंग समस्या भी दूर होती है। गर्मियों में तुलसी टोनर अप्लाई करना काफी बेस्ट माना जाता है। क्योंकि इससे आपनी स्किन भी हाइड्रेट रहती हैं। वहीं इसमें मौजूद गुलाबजल और ग्लिसरीन आपके चेहरे की नमी को बरकरार रखता है। जिसके चलते आपकी स्किन ग्लोइंग बनती है। तुलसी का टोनर आपकी स्किन के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसक लगाने से ग्लो बना रहता है। साथ ही गुलाब जल और ग्लिसरीन आपकी स्किन को टाइट रखने का काम करता है। इस टोनर के इस्तेमाल से आपकी स्किन में पीएच बैलेंस बना रहता है। स्किन के ढीले होने और झुर्रियों से भी निजात दिलाता है।
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आजकल की खराब लाइफस्टाइल के चलते लोगों का वजन तेजी से बढ़ने लगा है। वहीं कई तरह की बीमारियों की वजह से भी लोगों का वजन बढ़ता है। ऑफिस के काम के प्रेशर के कारण लोगों को योग व एक्सरसाइज करने का मौका नहीं मिलता है। वहीं बाहर का जंक फूड खाने से आपके शरीर में अनहेल्दी फैट बढ़ने लगता है। जिसकी वजह से वेट धीरे-धीरे बढ़ने लगता है। वहीं बढ़ते मोटापे की वजह से कई तरह की बीमारियां शुरू होने लगती है। बता दें कि अगर आप अपनी डाइट और लाइफस्टाइल में थोड़े से बदलाव करते हैं, तो आप आसानी से मोटापे से मुक्ति पा सकते हैं। वजन कम करने के लिए आप सौंफ और चिया सीड्स को अपनी डाइट में शामिल कर सकते हैं। सौंफ और चिया सीड्स में फाइबर भरपूर मात्रा पायी जाती है। जो आपके पाचन तंत्र को बेहतर कर वेट कम करने में मदद करता है। आइए जानते हैं कि सौंफ और चिया सीड्स की मदद से आप किस तरह अपने वेट को कंट्रोल में कर सकते हैं। मेटाबॉलिज्म करता है बूस्ट बता दें कि सौंफ और चिया सीड्स में एनेथाल पाया जाता है। यह पाचन एजाइम्स बढ़ाने में मदद करता है। साथ ही मेटाबॉलिज्म बूस्ट होता है। इससे आपकी एक्स्ट्रा कैलोरी तेजी से बर्न होती है। मेटाबॉलिज्म बूस्ट होने से वेट धीरे-धीरे कम होता है। जिससे आपके सभी अंगों को ऊर्जा मिलती है। इससे एनर्जी लेवल भी बढ़ता है। फाइबर से भरपूर चिया सीड्स और सौंफ में फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसके सेवन से कब्ज की समस्या नहीं होती है। वहीं पेट फूलना, गैस और एसिडिटी की समस्या से भी राहत मिलती है। इसके सेवन से पाचन क्रिया बेहतर होने के साथ ही वेट भी तेजी से कम होता है। भूख होती है कंट्रोल सौंफ और चिया सीड्स में भूख को कंट्रोल करने के गुण पाए जाते हैं। इसके सेवन से आपको बार-बार भूख भी नहीं लगती है। जिससे मोटापा कंट्रोल होता है। वहीं चिया सीड्स में कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन की प्रचुर मात्रा पायी जाती है। यह भूख को कंट्रोल करने में सहायक होती है। ब्लड शुगर चिया सीड्स में कार्बोहाइड्रेट भी पाया जाता है। जो चीनी को ब्लड में अवशोषित करने की प्रक्रिया को धीमा करता है। इससे ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल में रहता है। इससे आपका वेट भी नहीं बढ़ता है। एंटी इंफ्लेमेटरी गुण चिया सीड्स और सौंफ ओमेगा 3 फैटी एसिड पाया जाता है। जो शरीर की सूजन को कम करने के साथ फैट को घटाने में सहायक होता है। इससे आपका वेट तेजी से घटता है। ऐसे करें सेवन सबसे पहले एक बर्तन में करीब डेढ़ गिलास पानी गर्म कर लें।जब पानी हल्का गुनगुना हो जाए तो इसमें सौंफ और चिया सीड्स को उबाल लें।अब करीब 10-15 मिनट तक उबालने के बाद पानी को एक गिलास में छान लें। इसके बाद पानी में एक चम्मच शहद डालकर अच्छे से मिक्स कर दें।अगर आप बेहतर रिजल्ट पाना चाहते हैं, तो इसका सुबह खाली पेट सेवन करें।
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हार्मोन्स का संतुलित रहना स्वस्थ रहने के लिए बेहद जरूरी है। बता दें कि हार्मोन्स हमारे शरीर में बनने वाले एक केमिकल की तरह है। जो खून के जरिए शरीर के दूसरे अंगो में पहुंचता है। हार्मोन इम्बैलेंस होने पर शरीर में कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं। हार्मोन इम्बैलेंस होने पर तनाव, खराब पाचन-तंत्र, नींद की कमी और मूड स्विंग्स जैसे लक्षण दिखते हैं। वहीं हार्मोन इम्बैलेंस होने के कई कारण हो सकते हैं। इनमें खराब लाइफस्टाइल, फिजिकल एक्टिविटी न करना और संतुलित भोजन न करना आदि शामिल है। कई बार लोग हार्मोन इम्बैलेंस की गड़बड़ी को नजरअंदाज करते रहते हैं। जिसके कारण बाद में कई तरह की दिकक्तें खड़ी हो सकती हैं। हार्मोन को संतुलित करने के लिए आपको अपनी डाइट में कुछ ऐसे फूड्स को शामिल करना चाहिए। जो इम्यूनिटी बढ़ाने के साथ ही हार्मोन्स को भी संतुलित करते हैं। वहीं हार्मोन्स के संतुलित होने पर व्यक्ति मानसिक तौर पर मजबूत होता है और बिन वजह थकान नहीं होती। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको हार्मोन को संतुलित करने वाले कुछ फूड्स के बारे में बताने जा रहे हैं। अलसी के बीज अलसी के बीज हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं। अलसी के बीज में सोडियम, फाइबर, पोटेशियम, आयरन और विटामिन-सी के गुण पाए जाते हैं। इसके अलावा इसमें ओमेगा-3 और ओमेगा-6 भी पाया जाता है, जो शरीर को स्वस्थ रखने के साथ ही हार्मोन्स को भी संतुलित करता है। दही या सलाद के साथ आप अलसी के बीज का सेवन कर सकते हैं। हरी सब्जियां हेल्थ एक्सपर्ट्स भी डाइट में हरी सब्जियों को शामिल करने की सलाह देते हैं। हरी सब्जियों के सेवन से शरीर की कमजोरी दूर होने के साथ इम्यूनिटी भी मजबूत होती है। क्योंकि हरी सब्जियों में पोटेशियम, आयरन, प्रोटीन, विटामिन बी6 और विटामिन-सी, सोडियम और फाइबर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। हरी सब्जियों में मौजूद एंटी-ऑक्सीडेंट्स हार्मोन्स को संतुलित करने के साथ ही शरीर को ताकत देते हैं। हल्दी हम सभी जानते हैं कि हल्दी में तमाम तरह के गुण पाए जाते हैं और यह स्वास्थ्य के लिए अच्छी मानी जाती है। बता दें कि हल्दी में एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं। हल्दी हार्मोन्स संतुलित करने के साथ ही महिलाओं में होने वाली पीसीओएस की समस्या भी कम होती है। साथ ही इसके सेवन से इम्यूनिटी भी बढ़ती है। सूरजमुखी के बीज सूरजमुखी के बीज में आयरन, प्रोटीन, विटामिन बी6 और विटामिन-सी, सोडियम, फाइबर और पोटेशियम पाया जाता है। सूरजमुखी के बीच को अपनी डाइट में शामिल करने से पाचन तंत्र मजबूत होने के साथ ही वजन भी कंट्रोल होता है। एवोकाडो हार्मोन्स को बैलेंस करने के लिए एवोकाडो का सेवन किया जा सकता है। एवोकाडो में फाइबर, पोटेशियम, कैल्शियम, आयरन, सोडियम और प्रोटीन पाया जाता है। इसके सेवन से न सिर्फ पाचन तंत्र से संबंधित समस्याएं दूर होती हैं और हार्ट भी स्वस्थ रहता है। ऐसे में अगर आपको हार्मोन इम्बैलेंस की दिक्कत हो रही है, तो आपको अपनी डाइट में एवोकाडो जरूर शामिल करना चाहिए।
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