परहित सरिस धर्म नहिं भाई – कमलेश चौधरी
ललितपुर- इस वर्ष सर्दी अपनी चरम सीमा पर रही, सूर्यनारायण के दर्शन लोगों को असहनीय होने लगे। सभ्रांत लोग अपने वैभव विलास का आनन्द ले रहे थे लेकिन बेसहारा और दीन -हीन लोगों ने ही इस सर्दी से चार हाथ करके सामना किया वे लोग अपने लिए शासन की अलाव से ही रात गुजर बसर कर रहे थे। इन्हीं लोगों के बीच sdps इंटरनेशनल स्कूल के प्राचार्य अमीचन्द शर्मा और विद्यालय शिक्षक अविनाश सविता, राजेन्द सविता, अनुज जैन , आशीष मिश्रा, वैशाली सेंगर, आयुषी जैन आदि शिक्षक विद्यार्थियों सहित ललितपुर शहर के स्टेशन पर पहुँचकर जरूरतमंद लोगों को कम्बल वितरित किये। सभी दीन दुखियों ने खुले दिल से उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया। इससे छात्रों में भी नेकी करने की भावना विकसित हुई। विद्यालय प्रबन्धक कमलेश चौधरी जी ने कहा कि मानव सेवा से बड़ा कोई धर्म नही होता। और परोपकार ही सबसे बड़ा धर्म है यह छात्रों को समझना चाहिए। प्राचार्य ने भी छात्रों को अपने जीवन में दान का महत्त्व समझाया । सभी छात्र परोपकार करके बहुत ही खुश होकर अपने – अपने घर लौटे।
ललितपुर- इस वर्ष सर्दी अपनी चरम सीमा पर रही, सूर्यनारायण के दर्शन लोगों को असहनीय होने लगे। सभ्रांत लोग अपने वैभव विलास का आनन्द ले रहे थे लेकिन बेसहारा और दीन -हीन लोगों ने ही इस सर्दी से चार हाथ करके सामना किया वे लोग अपने लिए शासन की अलाव से ही रात गुजर बसर कर रहे थे। इन्हीं लोगों के बीच sdps इंटरनेशनल स्कूल के प्राचार्य अमीचन्द शर्मा और विद्यालय शिक्षक अविनाश सविता, राजेन्द सविता, अनुज जैन , आशीष मिश्रा, वैशाली सेंगर, आयुषी जैन आदि शिक्षक विद्यार्थियों सहित ललितपुर शहर के स्टेशन पर पहुँचकर जरूरतमंद लोगों को कम्बल वितरित किये। सभी दीन दुखियों ने खुले दिल से उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया। इससे छात्रों में भी नेकी करने की भावना विकसित हुई। विद्यालय प्रबन्धक कमलेश चौधरी जी ने कहा कि मानव सेवा से बड़ा कोई धर्म नही होता। और परोपकार ही सबसे बड़ा धर्म है यह छात्रों को समझना चाहिए। प्राचार्य ने भी छात्रों को अपने जीवन में दान का महत्त्व समझाया । सभी छात्र परोपकार करके बहुत ही खुश होकर अपने – अपने घर लौटे।