शिमला उद्योग मंत्री हर्षवर्धन सिंह ने कहा है कि प्रदेश में फोरलेन निर्माण के लिए गलत तरीके से की जा रही कटिंग और डंपिंग आपदा का कारण बन रही है। उद्योग मंत्री ने राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण कार्य पर सवाल उठाए हैं। मंगलवार को सचिवालय में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि फोरलेन निर्माण के लिए डंपिंग नदी-नालों में की जा रही। आपदा के बाद अब यह बड़ा सवाल है कि हिमाचल के लिए फोरलेन सही भी हैं या नहीं।
हर्षवर्धन ने कहा कि चंडीगढ़-सोलन, सोलन-शिमला, मनाली-चंडीगढ़ और उनके विधानसभा क्षेत्र का पांवटा-हाटकोटी ग्रीन कॉरिडोर तहस-नहस हो गया है। नेशनल हाईवे का निर्माण कार्य संतोषजनक नही है। एनएच पर ढाई तीन मीटर से ऊपर डंगे नहीं लगाए जाते। हैवी जेसीबी मशीनों से कटिंग कर 150 मीटर तक पहाड़ काट कर गिर रहे हैं। डंपिंग का कोई सिस्टम नहीं है। नदियों में रेत पत्थर बहुत ज्यादा आ रहा है।
उद्याेगों को आपदा से 300 करोड़ का नुकसान
उन्होंने कहा कि उद्योगों को आपदा से करीब 300 करोड़ का नुकसान हुआ बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़, कालाअंब, पांवटा में सड़कें क्षतिग्रस्त हुईं, पावर लाइनों और ट्रांसफार्मरों को नुकसान पहुंचा, बीबीएन में एनएच के पुल बह गए हैं। लेकिन अब स्थिति तेजी से सामान्य हो रही है। उद्योगों के लिए कच्चा माल पहुंचना शुरू हो गया है। तैयार माल भी बाहर जा रहा है। आपदा से निपटने के लिए मुख्यमंत्री की अगुवाई में सरकार युद्धस्तर पर काम कर रही है। आपदा राहत के पिछले कुछ सालों के करीब 1500 करोड़ रुपये केंद्र के पास फंसे हैं। उम्मीद है कि केंद्र सरकार विशेषकर प्रधानमंत्री उदार मदद करेंगे।