परिवहन विभाग कितना महिलाओ के साथ, आप भी समझें,
परिवहन विभाग और परिवहन मंत्री लगातार विज्ञापनो द्वारा अपनी आप को महिला सशक्तिकरण और महिला सुरक्षा की बातें जनता के समक्ष प्रस्तुत करते रहे है और इस विषय में परिवहन विभाग की विज्ञापनो के आधार पर हमने भी धन्यवाद के साथ प्रशंसा करी थी पर सब कुछ सामने आनी पर पता चला कि वह सब तो सिर्फ आखों का धोखा ही था।
- महिलाओ की लिए ऑटो परमिट पर कोटा, जांच में पता चला की ई वाहनों को टू दिल्ली परिवहन विभाग परमिट देता ही नहीं है यानी किसी भी ई वाहन को परमिट की आवश्यकता है ही नहीं, जब परमिट की जरुरत नहीं तो कोटा कैसा?
इस बात के लिए उदाहरण और सबूत में मेट्रो फीडर ई बस हैं जो दिल्ली की सड़को पर स्टेज कैरेज परमिट की तरह स्टेज़ से और डीटीसी बस स्टैंड से सवारी उठाती हुए चलती है वह भी बिना परमिट। दूसरा उदाहरण और सबूत दिल्ली की सड़को पर डीटीसी के नाम से चलने वाली ई बसे।
निष्कर्ष:- जब परमिट की आवश्यकता ही नहीं टू किस प्रकार का कोटा?
दिल्ली की सड़क पर दुर्भाग्य पुर्ण दुर्घटना होने के बाद गृह सचिव कमेटी भारत सरकार द्वारा जारी आदेश के तहत दिल्ली परिवहन विभाग को दिल्ली में व्यवसायिक सवारी वाहनों पर चलने वाले सभी वाहन मालिकों का दिल्ली पुलिस की स्पैशल ब्रांच द्वारा जांच करवाना ओर वहा से जांच रिपोर्ट की साथ बार कोड प्राप्त करना था और उसी कोड द्वारा जांच बनाए रखना अनिवार्य था जिसे परिवहन विभाग ने अपनी ड्यूटी से मुक्त होने के लिए वाहन मालिको को ही पुलिस वेरिफिकेशन सर्टिफिकेट अनिवार्य कर दिया।
निष्कर्ष:- परिवहन विभाग द्वारा महिला सुरक्षा की अहमियत जीरो हैं।
वाहनों में पैनिक बटन और उसका संबंध सीधा दिल्ली पुलिस विभाग के अंतर्गत, जिससे अगर कोई महिला सुरक्षा हेतु पैनिक बटन का प्रयोग करें तो जल्द से जल्द पुलिस सेवा उपल्ब्ध हो सके पर बसो में पैनिक बटन तो लगा दिए गए पर उसका संबंध कही भी नहीं जिसके तहत पैनिक बटन का प्रयोग करने वाले को मदद मिल सके।
निष्कर्ष:- सिर्फ दिखावा, महिला सुरक्षा नही
महिलाओ के सशक्तिकरण हेतु महिलाओ को ड्राईवर ट्रैनिंग फ्री, पर जिस कैटेगरी के लिए ट्रैनिंग फ्री उस कैटेगरी में दिल्ली परिवहन विभाग और दिल्ली सरकार में कोई स्थाई या अस्थाई नौकरी ही नहीं और प्राइवेट सवारी वाहनों में कार्य करना कितना सुरक्षित, यह तो आप जानते ही हैं।
निष्कर्ष:- सिर्फ दुनियां में दिखावे का माध्यम और कुछ नहीं।
यह तो कुछ उदाहरण और सबूत है अभी और भी बहुत है जो सत्य ओर तथ्य का सच बताने में सक्षम है, अब आप ही सोच ले परिवहन विभाग के आला अधिकारी मुख्य रूप में परिवहन आयुक्त एवम् परिवहन मंत्री कितने महिला सशक्तिकरण और सुरक्षा के प्रति जागरूक है।
जनहित में जारी
संजय बाटला