परिवहन विभाग ने नहीं लिया जनता के हित मे फैसला, आखिर क्यों ?

दिल्ली परिवहन विभाग द्वारा एनबीएफसी कंपनियों और बैंकों को एचपी एडिशन के लिए अपने दिए निर्देश पर खरा नहीं उतरने पर कानूनी प्रक्रिया की धज्जियां उड़ाते हुए आज भी जनता की परेशानी पर कोई हल नहीं निकाला,

कल हमने बताया था कैसे दिल्ली में प्रदुषण रोकने के लिए माननीय उच्चतम न्यायालय ने 2010 में दिल्ली में डीजल से चलने वाले व्यवसायिक वाहनों पर पाबन्दी के आदेश पारित किए थे पर जनहित में लोगो को इस आदेश के कारण व्यवसायिक वाहनों की कमी होने की वजह से परेशानी नहीं महसूस हो को नजर में रखते हुए डीजल वाहन मालिको पर जुर्माना अदा कर चलाने की इजाजत दी थी, यह था जनहित,

परिवहन विभाग अपनें आदेशों को जनहित का नाम देकर जनता को ही परेशानी के समुंद्र में धकेल रहा है। यह जनहित है या हठधर्म अब आप ही फैसला कर के बताए।

दिल्ली में पहले ही दिल्ली सरकार और परिवहन विभाग की नीतियों के कारण अधिकतम व्यवसायिक वाहन सड़कों से हट चुके हैं और परिवहन विभाग की हठधर्मी के कारण जो अपने कारोबार को करना चाहते है वह भी परेशान हो रहे हैं।

परिवहन विभाग की हठधर्मी के साथ परिवहन विभाग की शाखाओं में कार्यरत अधिकारी भी जनता को परेशान करने में जुटे हैं। जिन बैंको और एनबीएफसी कंपनियों ने परिवहन विभाग की बात मान कर आनलाइन कार्य शुरू कर दिया है उनके भी एचपी एडिशन को बहाने बना कर रोक लगा कर बैठे हैं।

परिवहन विभाग के आला अधिकारियों को आदेश पारित करने के साथ इतना समय उसे लागू करने के लिए देना चाहिए जिससे जनता परेशान नहीं हो ।

परिवहन विभाग के दबाव में 80 से ज्यादा बैंको / एनबीएफसी द्वारा अपना आनलाइन कार्य शुरू कर दिया गया है फिर अन्य पर दबाव बनाने के लिए ऐसा तरीका अपनाएं जिससे जनता प्रभावित नही हो और परिवहन विभाग का दबाव भी बने।

परिवहन विभाग जनता की मदद के लिए हैं ना कि जनता को परेशान करने के लिए।

जनहित में परिवहन विभाग को वाहनों की एचपी एडिशन को पुराने और नए दोनो तरीको से शुरू रखना चाहिए ।

जनहित में जारी

संजय बाटला

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *