परिवहन विभाग दिल्ली को प्रदुषण मुक्त बनाना चाहता है या प्रदुषण ग्रस्त

दिल्ली परिवहन विभाग द्वारा बुराड़ी से 350 हरे भरे पेड़ सिर्फ इसलिए कटवा दिए गए थे क्योंकि वहा दिल्ली परिवहन विभाग को इलेक्ट्रिक वाहन डिपो शुरु करना है। वन विभाग और माननीय उपराज्यपाल द्वारा आज्ञा भी प्राप्त हो गई वह भी ऐसे समय में जब दिल्ली प्रदुषण का चैंबर बनी हुई हैं। इस समय शुद्ध वायु के लिए पेड़ों की सख्त आवश्यकता है और उसके बावजूद हरे भरे पेड़ों को काटा जाना और वह भी स्वयं सरकारी विभाग जो दिल्ली को प्रदुषण मुक्त करने के लिए सबसे अधिक मेहनत कर रहा है उसके द्वारा, थोड़ा सोचने का विषय बनता है।

ऐसा नहीं की इन 350 हरे भरे लहलहाते पेड़ों को काटने के बदले में परिवहन विभाग ने नए पेड़ ना लगाए हो। विश्वस्त सूत्रों की माने तो दिल्ली परिवहन विभाग ने इसके बदले 1000 नए वृक्ष लगवाए थे, पर कहा और आज उनमें से कितने पेड़ जिन्दे है इसका जवाब देने वाला कोई नहीं।

विश्वस्त सूत्रों की माने तो दिल्ली परिवहन द्वारा फिर से अन्य कई हजार हरे भरे लहलहाते पेड़ों को काटने की इजाजत के लिए फाइल चला रखी है और उन्हें काटने की इजाजत भी प्राप्त कर ही लेगा क्योंकी परिवहन विभाग कोई कार्य करने का फैसला कर ले या दिल मना ले तो उसे पूरा करके ही मानता है उसमे चाहें माननीय उच्चतम न्यायालय, माननीय उच्च न्यायालय, माननीय कैट, भारत सरकार के मंत्रालय या दिल्ली सरकार के मंत्रालयों का विरोधी आदेश ही पारित क्यो नही हो।

दिल्ली परिवहन विभाग स्वयं यह सिद्ध करने में नही चुकता की दिल्ली में प्रदुषण का मुख्य कारण दिल्ली में चलने वाले वाहन हैं जबकि दिल्ली में चलने वाले सभी वाहन जिस पेट्रोलियम पदार्थ से चलते हैं वह जिस कैटेगरी में आता है उसके अनुसार वाहनों से प्रदुषण उत्पन्न होना ही नहीं चाहिए पर फिर भी वाहन है प्रदुषण उत्पन्न होने का मुख्य ज़िम्मेदार।

दिल्ली में जब सीएनजी और उच्च मानक के पेट्रोलियम पदार्थ उपल्ब्ध नही थे तब भी दिल्ली का प्रदुषण इतना कभी नही पाया गया था उल्टा दिल्ली को ग्रीन सिटी का अवार्ड प्राप्त हुआ था।

आज दिल्ली का पूरा व्यवसायिक वाहन सीएनजी वर्जन में है और अन्य सभी उच्च श्रेणी के पेट्रोलियम से चालित है फिर उनसे प्रदुषण का कारण, शायद किसी के पास नही है जवाब।

ऐसे में परिवहन विभाग द्वारा ही हरे भरे लहलहाते पेड़ों को कटवाना कितना दिल्ली को प्रदुषण मुक्त करने का प्रयास है आप स्वयं सोचे समझे।

जनहित में जारी :- संजय बाटला

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *