ट्रेन में चोरी हो गया है सामान, क्या मिल सकता है आपको मुआवजा? जानिए क्या है भारतीय रेलवे के नियम

 नई दिल्ली । ट्रेन में हम में से सभी ने कभी ना कभी सफर तो किया होगा। एक राज्य से दूसरे राज्य तक जाने का सबसे सस्ता और सुगम साधन में से एक ट्रेन को माना जाता है। ट्रेन में सफर करना भले ही अच्छा लगता हो पर कई बार सामान के चोरी हो जाने का खतरा भी बना रहता है। अगर आपके साथ भी कभी ऐसी कोई घटना घट जाए तो आपको क्या करना चाहिए, आइए इसके बारे में जानते हैं। सामान चोरी होने पर करें ये काम आपको ट्रेन में सफर के दौरान हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए। कभी आपके सामने ऐसी कोई दुर्घटना घट जाए तो आपको सबसे पहले उसकी शिकायत दर्ज करवानी चाहिए। आप जैसे ही शिकायत दर्ज करते हैं,लेकिन उसके बाद भी आपको सामान नहीं मिलता है तो भारतीय रेलवे यात्री को मुआवजा देता है। भारतीय रेलवे के मुताबिक व्यक्ति के सामान चोरी हो जाने के बाद सामान की कीमत की गणना के अनुसार ही रेलवे मुआवजा देती है। मुआवजा पाने के लिए आपको कुछ प्रोसेस को फॉलो करना होगा। आइए, जानते हैं कि आपको क्या प्रोसेस फॉलो करना होगा। कैसे मिलेगा मुआवजा अगर सफर के दौरान किसा यात्री का सामान चोरी हो जाता है तो उसे सबसे पहले  ट्रेन कंडक्टर कोच अटेंडेंट, गार्ड या जीआरपी एस्कॉर्ट से संपर्क करना होगा। ये व्यक्ति आपको एक फॉर्म देंगे, आपको वो फॉर्म भरना होगा। आप जैसे ही ये फॉर्म भरते हैं तो उसके बाद कार्रवाई करने के लिए इस फॉर्म को थाने भेज दिया जाता है। अगर आपको अपना ट्रेन का सफर पूरा करना है तो आप किसी भी रेलवे के आरपीएफ सहायता चौकियों पर शिकायत पत्र को जमा करवा सकते हैं।

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फोरलेन निर्माण के दौरान जंगलों और नदियों में मलबा फेंकने पर हाईकोर्ट सख्त, तलब की रिपोर्ट

शिमला  हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने किरतपुर-मनाली फोरलेन निर्माण के दौरान जंगलों और नदियों में मलबा फेंकने पर कड़ा संज्ञान लिया है। अदालत ने केंद्र सरकार के पर्यावरण विभाग और एनएचएआई को आदेश दिए हैं कि वे शपथपत्र के माध्यम से बताएं कि ठेकेदार के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है। अदालत ने राज्य सरकार को भी आदेश दिए हैं कि वह अदालत को बताएं कि लोनिवि के ठेकेदार को अवैध डंपिंग से रोकने के लिए क्या योजना बनाई जा रही है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 9 अगस्त को निर्धारित की है। अदालत ने आदेशों में कहा कि एनएचएआई के ठेकेदारों के साथ-साथ लोक निर्माण विभाग के ठेकेदार भी अवैध डंपिंग के लिए जिम्मेवार हैं। ठेकेदार नदियों के किनारे और पहाड़ियों पर अवैध डंपिंग कर रहे हैं। फोरलेन विस्थापित और प्रभावित समिति की याचिका पर अदालत ने यह आदेश पारित किए। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत के बताया गया कि किरतपुर-नेरचौक फोरलेन निर्माण के दौरान एनएचएआई के ठेकेदार ने जंगल में मलबा फेंक दिया है। एनएचएआई ने शपथ पत्र के माध्यम से अदालत में माना कि 12 जून 2019 को डीएफओ बिलासपुर ने मलबे की अवैध डंपिंग की शिकायत की है। इसके लिए एनएचएआई ने 8,45,700 रुपये की राशि जुर्माने के तौर पर जमा करवा दी है। इसी फोरलेन निर्माण से जुड़े एक अन्य मामले में फोरलेन निर्माण के मलबे को गोबिंद सागर झील में ठिकाने लगाने का आरोप लगाया गया है। अदालत ने दोनों मामलों की सुनवाई एक साथ निर्धारित की है। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि गोबिंद सागर झील में

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बिजली परियोजनाओं से भी खोखले हो रहे हैं पहाड़, कमजोर होकर दरकने की यह भी एक वजह

कुल्लू उत्तर भारत को रोशन करने वाले जिला कुल्लू के बिजली प्रोजेक्टों के निर्माण से पहाड़ नाजुक होने लगे हैं। इससे पहाड़ कमजोर होकर दरकने लगे हैं। जिला कुल्लू में करीब 20 बिजली प्रोजेक्ट हैं।  इसमें अधिकतर का निर्माण पूरा हो गया है। कुछ का निर्माण चल रहा है। जिले में बाह्य सराज आनी-निरमंड से लेकर मनाली तक हर नदी-नालों पर प्रोजेक्ट बने हैं। इसमें 10 के करीब बड़े प्रोजेक्ट हैं, जिसकी उत्पादन क्षमता 100 मेगावाट से अधिक है। इतने ही माइक्रो प्रोजेक्ट हैं। उसमें एक से पांच मेगावाट तक बिजली पैदा हो रही है। इन प्रोजेक्टों में दस से 12 सुरंगों को निर्माण किया गया है। हजारों के हिसाब से हर भरे पेड़ों को काटा गया है। इसकी एवज में कुछ ही पेड़ों को लगाया जाता है। ब्यास में बाढ़ से हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड का लारजी में 126 मेगावाट का प्रोजेक्ट पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। इसमें बिजली उत्पादन पूरी तरह से ठप है। 10 जुलाई को ब्यास, पार्वती, तीर्थन तथा सैंज नदी में आई बाढ़ से प्रोजेक्ट पूरी तरह तहस-नहस हो गया है। पावर हाउस में बाढ़ का पानी और मलबा घुसा है। प्रोजेक्ट को 658 करोड़ का नुकसान आंका गया है।

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छह सड़कों पर थमे रहे वाहनों के पहिए, आठ हजार की आबादी परेशान

अल्मोड़ा। बारिश के बाद जिले में छह सड़कें बंद हैं। इन सड़कों पर आवाजाही ठप होने से 20 से अधिक गांवों का जिले से संपर्क…

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वाराणसी की सड़कें बनेंगी मॉडल, पार्कों में भी मिलेगी ओपन जिम की सुविधा,,,।

  शहर की मुख्य सड़कों की सूरत बदल जाएगी। इन्हें मॉडल के रूप में विकसित किया जाएगा।  लखनऊ की तर्ज पर सप्ताह के अंत में…

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