प्रधानमंत्री ने हुबली-धारवाड़, कर्नाटक में प्रमुख विकास परियोजनाओं का शिलान्यास किया और राष्ट्र को समर्पित किया

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज हुबली-धारवाड़, कर्नाटक में प्रमुख विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया और शिलान्यास किया। इन परियोजनाओं में आईआईटी धारवाड़ को राष्ट्र को समर्पित किया जाना शामिल है, जिसका शिलान्यास प्रधानमंत्री ने फरवरी, 2019 में किया था। इसके अलावा 1507 मीटर लंबे सिद्धारूढ़ा स्वामीजी हुबली स्टेशन को भी समर्पित किया गया, जो दुनिया का सबसे लंबा रेलवे स्टेशन है और इसे हाल में गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने भी मान्यता दी थी। साथ ही, क्षेत्र में संपर्क को बढ़ावा देने के लिए होसपेटे – हुबली – टीनाघाट खंड के विद्युतीकरण और होसपेटे स्टेशन के उन्नयन कार्य का भी लोकार्पण किया गया।प्रधानमंत्री ने हुबली-धारवाड़ स्मार्ट सिटी की विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी किया। उन्होंने जयदेव हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, धारवाड़ मल्टी विलेज वाटर सप्लाई और तुप्पारीहल्ला फ्लड डैमेज कंट्रोल प्रोजेक्ट की आधारशिला भी रखी।

 

उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस साल की शुरुआत में हुबली के भ्रमण के अवसर को याद किया और उनके स्वागत में आए लोगों से मिले आशीर्वाद के बारे में भी बात की। बीते कुछ साल के दौरान बेंगलुरु से बेलगावी, कलबुर्गी से शिवमोगा और मैसूर से तुमकुरु तक अपने कर्नाटक के भ्रमण को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि वह कन्नडिगाओं द्वारा दिखाए गए अत्यधिक प्यार और स्नेह के ऋणी हैं और उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि सरकार लोगों के जीवन को आसान बनाकर उनकी जरूरतों को पूरा करने की दिशा में काम करेगी, युवाओं के लिए रोजगार के कई अवसर पैदा करेगी, क्षेत्र की महिलाओं को सशक्त बनाएगी। प्रधानमंत्री ने कहा, “कर्नाटक की डबल इंजन सरकार पूरी ईमानदारी के साथ राज्य के हर जिले, गांव और पुरवा के संपूर्ण विकास के लिए प्रयासरत है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि सदियों से धारवाड़, मलेनाडु और बयालु सीम क्षेत्रों के बीच एक प्रवेश द्वार रहा है जिसने सभी का खुले दिल से स्वागत किया है और सभी से सीखकर खुद को समृद्ध किया है। प्रधानमंत्री ने कहा, “इसीलिए, धारवाड़ सिर्फ प्रवेश द्वारा नहीं रहा, बल्कि कर्नाटक और भारत की ऊर्जा के सम्मिलित रूप में सामने आया है।”धारवाड़ को कर्नाटक की सांस्कृतिक राजधानी के रूप में जाना जाता है जो अपने साहित्य और संगीत के लिए चर्चित है। इस अवसर पर, प्रधानमंत्री ने धारवाड़ के सांस्कृतिक दिग्गजों को श्रद्धांजलि दी।

इससे पहले दिन में प्रधानमंत्री ने अपनी मांड्या यात्रा का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि नया बेंगलुरु मैसूर एक्सप्रेसवे कर्नाटक के सॉफ्टवेयर हब की पहचान को और आगे ले जाने का मार्ग प्रशस्त करेगा। इसी तरह, प्रधानमंत्री ने कहा किबेलगावी में कई विकास परियोजनाओं को या तो समर्पित किया गया या उनकी आधारशिला रखी गई। उन्होंने शिवमोगा कुवेम्पु हवाई अड्डे का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि आज की परियोजनाओं के साथ-साथ ये परियोजनाएं कर्नाटक के विकास की एक नई कहानी लिख रही हैं।

प्रधानमंत्री ने कहा, “धारवाड़ में आईआईटी के नये परिसर से जहां गुणवत्तापर्ण शिक्षा सुगम होगी, वहीं बेहतर भविष्य के लिए युवा प्रतिभाएं तैयार होंगी।”उन्होंने कहा कि नया आईआईटी परिसर कर्नाटक की विकास यात्रा के इतिहास में एक नया अध्याय लिख रहा है। उन्होंने धारवाड़ आईआईटी परिसर की उच्च तकनीकी सुविधाओं का उल्लेख किया और कहा कि यह प्रेरणा के स्रोत के रूप में कार्य करेगा जो संस्थान को दुनिया के अन्य प्रमुख संस्थानों के समान ऊंचाइयों पर ले जाएगा। आईआईटीधारवाड़ परिसर को वर्तमान सरकार की ‘संकल्प से सिद्धि’ (अर्थात संकल्पों द्वारा उपलब्धि) की भावना का एक प्रमुख उदाहरणबताते हुए प्रधानमंत्री ने फरवरी 2019 में इसकी आधारशिला रखने के अवसर को याद किया और इसके महज 4 साल की अवधि के भीतर पूरा होने पर प्रसन्नता व्यक्त की। हालांकि, इस बीच कोरोनोवायरस महामारी के कारण रास्ते में कई बाधाएं भी आईं। प्रधानमंत्री ने कहा, “शिलान्यास से लेकर लोकार्पण तक, डबल इंजन की सरकार लगातार काम करती है। हम उन्हीं परियोजनाओं के उद्घाटन के संकल्प में विश्वास रखते हैं, जिनका शिलान्यास हमने किया हो।”


प्रधानमंत्री ने जयदेव हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर का शिलान्यास भी किया।अस्पताल को लगभग 250 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जाएगा और क्षेत्र के लोगों को हृदय संबंधी देखभाल प्रदान करेगा। इस क्षेत्र में जल आपूर्ति को और बढ़ाने के लिए, प्रधानमंत्री ने धारवाड़ मल्टी विलेज वाटर सप्लाई स्कीम की आधारशिला रखीजिसे 1040 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित किया जाएगा।वह तुप्पारीहल्ला फ्लड डैमेज कंट्रोल प्रोजेक्ट की आधारशिला भी रखेंगे, जिसे लगभग 150 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जाएगा। परियोजना का उद्देश्य बाढ़ से होने वाले नुकसान को कम करना है और इसमें दीवारों और तटबंधों को बनाए रखने का निर्माण शामिल है।

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