इंस्टीट्यूट ऑफ़ ड्राइविंग एंड ट्रैफिक रिसर्च द्वारा दिल्ली की जनता से लुट करने में दिल्ली परिवहन विभाग का पूर्ण समर्थन
दिल्ली में किसी को भी अगर हैवी ड्राइविंग लाइसेंस ट्रैनिंग लेनी हो तो दिल्ली परिवहन विभाग द्वारा अधिकृत ड्राइविंग ट्रेनिग इंस्टीट्यूट से ही लेनी अनिवार्य है और उसके लिए दिल्ली में सिर्फ दो ही ड्राइविंग ट्रैनिंग इंस्टिट्यूट है जो अधिकृत है और यह दोनो ही परिवहन विभाग की सरकारी ज़मीन पर है।
दिल्ली परिवहन विभाग ने नाम के लिए तो जनहित में इन दोनों ड्राइविंग ट्रेनिग इंस्टीट्यूट वालो को अरबों रुपए की जमीन सिर्फ 100 से 150 रुपए महीने में इसलिए दी की जनता को अच्छा और सस्ती ट्रेनिग मिल सके ।
जनहित में ये देखने में अच्छा फैसला हैं पर सच कुछ और ही है। परिवहन विभाग द्वारा मारुति उद्योग लिमिटेड और अशोका लेलैंड नाम के दो उद्योगपति घरानों को जनता के हित के लिए नही कमाई करवाने के लिए अधिकृत किया है और इसी कारण से दिल्ली में और किसी भी सस्था, ट्रस्ट को हेवी ड्राइविंग ट्रेनिग सर्टिफिकेट की इजाजत नहीं दी ।
आप की जानकारी के लिए बता दे जनता को यहां से हेवी ड्राइविंग ट्रैनिंग सर्टिफिकेट कोर्स करने के लिए फीस जमा करवाने के बाद भी 2 से 6 महीने तक का इंतजार करना पड़ता है ।
इतनी अधिक जनता की मांग होने के बावजूद दिल्ली परिवहन विभाग ने अपनी हिटलर शाही चलाते हुए इन दोनो उद्योगपतियों के घरानों को कमाई करवाने का अपना वायदा पूरा करने में लगा हुआ है।
आपकी जानकारी के लिए एक और बात आपकों बता दें यह ड्राइविंग ट्रैनिंग इंस्टिट्यूट से अगर बीच में जनता का कोई व्यक्ति किसी भी कारण से ट्रेनिंग नही करना चाहता या चाहती तो यह ड्राइविंग इंस्टीट्यूट वाले उसके द्वारा एडवांस में जमा करवाई हुई फीस के पैसे वापिस नहीं करते यह बोलकर यह हमारी पालिसी है की जमा किया हुआ पैसा वापिस नहीं होगा।
पूरे भारत देश में मारुति उद्योग लिमिटेड का इंस्टिट्यूट ऑफ ड्राइविंग एंड ट्रैफिक रिसर्च नाम से संचालित ड्राइविंग स्किल डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट है जिसके मैनेजर तुषार जोहरी के नियम और कानून अपनी इच्छा से बनाए हुए हैं और परिवहन विभाग इसके खिलाफ़ कार्यवाही करने की जगह इन्हे स्पोर्ट करने में जुटा है, आख़िर क्यों ? बड़ा सवाल!!!
जनहित में जारी
*संजय बाटला