परिवहन विभाग द्वारा सरकारी खजाने में इजाफा करवाने और आप पार्टी के वोट बैंक बनवाने का परिणाम है क्या “दिल्ली परिवहन निगम का निजीकरण”

परिवहन विभाग द्वारा दिल्ली सरकार के राजस्व में इज़ाफ़ा और आप पार्टी के वोट बैंक बनवाने की नीतियों का परिणाम / हिस्सा है क्या ???””दिल्ली परिवहन निगम का निजीकरण”” ?

पिछले कुछ सालों से दिल्ली परिवहन विभाग द्वारा जारी आदेश/ दिशा निर्देश/ नीतियां स्वयं यह सिद्ध करती रही है की इनके पीछे मुख्य कारण सिर्फ आप पार्टी दिल्ली सरकार के लिए वोट बैंक और राजस्व में इज़ाफ़ा करना है, इस बारे में किसी को सिद्ध करने के प्रमाण देने की जरूरत नहीं।

दिल्ली में ऑटो की फिटनेस फीस और डिम्ट्स माफ करना और अन्य सभी वाहन मालिकों द्वारा उठाई गई मांग बढ़ी हुई फिटनेस जुर्माने की बढोतरी को कम करने को मना कर देना यह कह कर की यह भारत सरकार के आदेश है हम कुछ नहीं कर सकते फिर बिना भारत सरकार द्वारा माफ के आदेश प्राप्त किए ऑटो के लिए माफ कर देना!?
कोरोना वायरस के बुरे दौर में सिर्फ उन्ही वाहन मालिकों और ड्राइवरों को मदद देने की घोषणा करना और अन्य के लिए मदद के लिए मना कर देना!!?
ई रिक्शे की रजिस्ट्रेशन करवाने पर बिना पक्के लाईसेंस होते हुए भी सब्सिडी देना!!?
ऑटो का किराया कई बार बढ़ाने के आदेश पारित कर देना!!?
दिल्ली सरकार और परिवहन विभाग द्वारा स्वयं खड़े करवाए गए वाहनों से रोड टैक्स वसूलना
दिल्ली में चलने वाली क्लस्टर कंपनियों को एग्रीमेंट की शर्त बता कर प्रति वर्ष किलो मीटर की देय राशि बढ़ा कर देना और अन्य सभी स्टेज कैरेज परमिट पर चलने वाले वाहनों को अनदेखा करना
धाटे पर होने के बाद भी महिला फ्री, मजदूर फ्री जैसी स्कीमों को लागू करना,

इन जैसे अनगिनत दिशा निर्देश/ आदेश और नीतियां हैं जो स्वयं इस बात का प्रमाण है कि परिवहन विभाग सिर्फ और सिर्फ दिल्ली की आप पार्टी के वोट बैंक और राजस्व में इज़ाफ़ा करने में संलिप्त हैं।

आम आदमी की परेशानियों को जनहित के कार्यों में व्यस्त बताकर टालते रहना या ठंडे बस्ते में डाल देना, बैंको, एनबीएफसी कंपनियों, व्यापारियों, एवम् अन्य रोजगार में लिप्त व्यक्तियो पर अलग ढंग के आदेश/ दिशा निर्देश जारी कर और दबाव बना कर दिल्ली सरकार के मंत्री/ मुख्यमंत्री के द्वार पर दस्तक लगाने के रास्ते बनाना आज परिवहन विभाग का मुख्य उद्देश्य और कार्य है।

दिल्ली परिवहन विभाग दिल्ली परिवहन निगम की जमीन पर परिवहन विभाग के कार्यालय बनाने के लिए, ऑटोमेटिक ड्राईविंग टैस्ट ट्रैक बनाने के लिए और क्लस्टर कंपनियों की बसों को खड़ा करवाने के लिए कब्जा करता आ रहा हैं ।

अब प्रश्न यह उठता है कि

  1. दिल्ली परिवहन निगम को दिल्ली सरकार और परिवहन विभाग द्वारा ज़रुरत अनुसार सभी रूट पर चलने के लिए बस ही उपल्ब्ध नही करवाना,
  2. परिवहन निगम के अनुरोध के बाद भी दिल्ली परिवहन विभाग और दिल्ली सरकार द्वारा किराया वृद्धि की घोषणा नही करना,
  3. अंतराजकीय रूट पर चलाने के लिए परिवहन विभाग और दिल्ली सरकार द्वारा बस ही उपल्ब्ध नही करवाना,
  4. डीटीसी की बसों में महिला और मजदूरो को दिल्ली परिवहन विभाग और दिल्ली सरकार द्वारा फ्री चलवाना,
  5. परिवहन विभाग और दिल्ली सरकार द्वारा कलस्टर कम्पनियों के संचालन करने वाली कंपनी से डीटीसी के किसी भी रूट पर चलने वाले परिचालन के समय पर उसी समय पर साथ में कलस्टर बसों को चलवाना,

ऐसे हालात बनाने और बनवाने के बाद जनता के समक्ष प्रस्तुत अपनी सफाई में यह प्रकट करना की दिल्ली परिवहन निगम घाटे में चल रही है इसलिए निजीकरण करने का विचार किया जा रहा है, कितना न्यायपूर्ण है दिल्ली की जनता स्वयं फैसला ले।

किसी भी राज्य सरकार और परिवहन विभाग का पहला दायित्व है अपने राज्य की जनता को सुरक्षित, सुगम और प्रभावी सार्वजनिक सेवा उपल्ब्ध करवाना और दिल्ली सरकार और परिवहन विभाग दिल्ली क्या कर रहे है आप स्वयं करे फैसला।

कितना जनहित में लगे हैं
दिल्ली सरकार और परिवहन विभाग दिल्ली फैसला आपका ?

जनहित में जारी,
संजय बाटला

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