परिवहन विभाग द्वारा परेशान वाहन मालिक को और अधिक परेशानियां
दिल्ली परिवहन विभाग भारत देश का पहला ऑनलाइन फेस फ्री कार्यशैली लागू करने वाला विभाग,
दिल्ली परिवहन विभाग भारत में इकलौता विभाग जो जब इच्छा हो
माननीय उच्चतम न्यायालय, माननीय उच्च न्यायालय एवम् माननीय कैट के आदेशों/ दिशा निर्देशों को दरकिनार करने में सक्षम
भारत सरकार द्वारा विधि विधान से पारित गैजेट नोटिफिकेशन को दरकिनार करने में सक्षम
माननीय उपराज्यपाल की जानकारी में डाले बिना और गैजेट नोटिफिकेशन जारी किए बिना कोई भी अपनी इच्छा का कार्य लागू करने में सक्षम
उद्योगपतियों/ बड़े घरानों/ व्यवसायिक घरानों को कमाई करवाने और दिल्ली के राजस्व में इज़ाफ़ा करवाने के लिए कुछ भी कर सकने में सक्षम
इन सभी खूबियों के साथ आज सामने आई एक और खासियत जो आप सबकी जानकारी में होना अति आवश्यक है क्योंकि दिल्ली में लाइसेंस होल्डर और वाहन मालिक के लिए मोटर वाहन अधिनियम में दी गई शक्तियों द्वारा अपने साथ हुए अन्याय के लिए प्रयोग करने के लिए भी कर रखा है वंचित,
जी,
यह एक बड़ा सच है !!!
किसी भी लाइसेंस धारक या वाहन का पंजीकरण किसी सजा की तहत अगर डीटीओ या डीटीओ मुख्यालय द्वारा दंड में रद्द कर दिया जाए तो उसके खिलाफ़ मोटर वाहन अधिनियम और नियम के तहत वह सजायाफ्ती अपनी सजा के खिलाफ़ अपील कर सकता है और यह अपील लगती हैं विशेष आयुक्त (प्रचालन) परिवहन विभाग के पास लगाई जाती हैं और उस अपील को लगाने के निर्धारित शुल्क 500 रुपए अपनी अपील के साथ जमा करवाना होता है।
निर्धारित शुल्क के साथ अपील जमा करने पर विशेष आयुक्त (प्रचालन) द्वारा अपील पर सुनवाई कर अपना फैसला प्रदान करते हैं पर आज की तारीख में परिवहन विभाग के विशेष आयुक्त (प्रचालन) की ब्रांच में आए हुए अपने वाहन के पंजीकरण के रद्द आदेश के खिलाफ अपिल लगाने के लिए शुल्क जमा करने और अपील को जमा करने के लिए कहा तो वहा विराजमान पीएस साहिल सहरावत द्वारा जवाब दिया गया की शुल्क जमा करवाने और अपील जमा करने के लिए पहले विशेष आयुक्त से आज्ञा लेनी होगी, यह कैसा कानून और कैसा फैसला और वह भी उस विभाग में जहां सभी कार्य फेस फ्री आनलाइन कार्यशैली से होने का विश्व में विज्ञापनों द्वारा बताया जा रहा है।
एक परेशान व्यक्ती को अपने साथ हुए गलत आदेश के लिए भी अपील की इजाजत लेनी अनिवार्य, कैसा जनहित का है ना परिवहन विभाग दिल्ली?
जनहित में जारी
संजय बाटला