दिल्ली परिवहन निगम स्वायत निकाय जनता को सार्वजनिक सवारी वाहन सेवा प्रदान करने हेतु,

दिल्ली परिवहन विभाग और दिल्ली सरकार क्या दिल्ली परिवहन निगम की संपत्ति पर माननीय उपराज्यपाल दिल्ली के आदेश लिए बिना किसी और को प्रयोग के लिए दे सकते हैं या प्रयोग में ले सकते है, बड़ा सवाल ?

दिल्ली में माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बाद ब्ल्यू लाईन बस सेवा बंद कर कलस्टर कम्पनियों द्वारा बसे चलवाने के आदेश पारित किए गए थे तब दिल्ली सरकार ने कलस्टर कम्पनियों को बसों की पार्किंग के लिए अपनी ज़मीन पर डिपो बना कर प्रदान किए थे।

कई कलस्टर कम्पनियों का संचालन इसी लिए देरी से भी हुआ था क्योंकि दिल्ली सरकार उन्हें समय पर डिपो की जगह उपल्ब्ध नही करवा पाई थीं।

दिल्ली में आप पार्टी सरकार आने की बाद दिल्ली परिवहन विभाग और दिल्ली सरकार द्वारा डीटीसी के बस डिपो की संपत्ति इस प्रकार से लेनी शुरु कर दी जैसे सारी संपत्ति के मालिक दिल्ली सरकार और परिवहन विभाग ही है।

यहां यह बड़ा सवाल उत्पन्न होता है की क्या दिल्ली सरकार और परिवहन विभाग दिल्ली परिवहन निगम की जमीन पर अपनी मर्जी से कोई भी कार्य करवाने के लिए सक्षम है भी या नहीं।

अगर नही तो किस आधार पर दिल्ली परिवहन विभाग दिल्ली परिवहन निगम के डिपो कलस्टर कम्पनियों को प्रयोग के लिए दिए जा रहा है?

किस आधार से परिवहन विभाग दिल्ली परिवहन निगम के बस डिपो में ऑटोमैटिक ड्राईवर टैस्ट स्किल ट्रैक लगवा कर प्रयोग कर रहा है?

किस आधार से परिवहन निगम की जमीन पर ई चार्जिग लगा कर दिल्ली की जनता को प्रयोग के लिए आमंत्रित कर रहा है?

किस आधार से परिवहन निगम की जमीन पर अपने कार्यालय खोल रहा है ?

किस आधार पर परिवहन निगम की जमीन पर सीएनजी पम्प शुरु करवा रहा है?

क्या यह ही कारण तो नही दिल्ली सरकार द्वारा परिवहन मंत्री को दिल्ली परिवहन निगम का चैयरमैन बनाने के पीछे।

दिल्ली परिवहन निगम स्वायतशासी हैं और उसकी संपत्ति का प्रयोग अन्य विभाग नहीं कर सकता, फिर दिल्ली परिवहन विभाग किस आधार पर दिल्ली परिवहन निगम की संपत्ति पर यह सब कार्य करवा रही हैं ?

दिल्ली की आप पार्टी सरकार ने अपने पूरे कार्यकाल में परिवहन विभाग के आला अधिकारियों को अपने साथ मिलाकर और परिवहन निगम में चैयरमैन का गरिमा पूर्ण पद पर परिवहन मंत्री को विराजमान करवाकर सिर्फ घाटे में पहुंचाने की रणनीति ही करी है, जिसका

पहला प्रमुख सबूत है एक भी बस पूरे कार्यकाल में ना खरीदना ।

दूसरा भारत सरकार द्वारा इलेक्ट्रिक बसे खरीदने के लिए सब्सिडी देने के बावजूद भी बसे सरकारी खजाने से ना खरीदना,

तीसरा दिल्ली से भारत के अन्य राज्यो के लिए जाने वाली बस सेवा को बंद रखना सिर्फ बसे ना खरीदने के उद्देश्य या डीटीसी को पूर्ण रूप से घाटे में परिवर्तित करने हेतु,

दिल्ली परिवहन निगम के अन्तर्गत वाहनों के मेंटेंस का परिक्षित स्टाफ उपल्ब्ध होने के बावजूद वाहनों की मेंटेंस बाहरी कंपनियों को देना इत्यादि अनेक सबूत यह दर्शाते हैं की दिल्ली सरकार और परिवहन विभाग दिल्ली परिवहन निगम के निजीकरण का खेल पहले दिन से ही खेल रहे हैं और इसकी निष्पक्ष जांच की आवश्यकता हैं क्योंकि दिल्ली की जनता को सुरक्षित और सुखद सवारी सेवा उपल्ब्ध करवाने के उद्देश्य के लिए हैं डीटीसी।

जनहित में जारी
संजय बाटला

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