रानीखेत (अल्मोड़ा)। रानीखेत-रामनगर राजमार्ग पर लंबे समय से डंप मलबा नहीं हटाया जा सका जो यात्रियों के साथ ही वाहन चालकों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है। मलबा डंप होने से सड़क संकरी हो गई है जिससे दुर्घटना का खतरा बना हुआ है। तेज बारिश होने के कारण एक सप्ताह पूर्व एसएसबी मुख्यालय के पास दीवार क्षतिग्रस्त होने से मलबा और पत्थर सड़क पर गिर गए थे जो नहीं हटाए गए हैं। ऐसे में सड़क संकरी हो गई है जिससे दुर्घटना का खतरा बना हुआ है। लोगों का कहना है कि अगर इस मलबे को नहीं हटाया गया तो यह पूरी सड़क घेर सकता है। ऐसे में इस म यातायात भी बाधित हो सकता है। चालक किसी तरह इस क्षेत्र से छोटे, बड़े वाहनों का संचालन कर रहे हैं। इससे राहगीरों और वाहन चालकों समेत स्थानीय लोगाें को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मलबा न हटने से लोगों में खासा आक्रोश है। उन्होंने कहा कि कई बार लोक निर्माण विभाग के कई अभियंताओं से मलबा हटाने की मांग की गई लेकिन ऐसा नहीं हो सका है। वहीं लोक निर्माण विभाग खंड के अधिशासी अभियंता (ईई) ओंकार पांडे ने कहा कि जल्द मलबा हटाकर सुरक्षा दीवार का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए जरूरी तैयारी की जा रही है।
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गौतमबुद्ध नगर में दो ट्रैफिक जोन और सात सर्किल होंगे
नोएडा। जिले के ट्रैफिक सिस्टम को पुनर्गठित किया गया है। अब जिले में दो जोन और सात सर्किल होंगे। यातायात व्यवस्था को और मजबूत बनाने…
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देवरिया। भटनी रेलवे स्टेशन यार्ड में इंजीनियरिंग कार्य को देखते हुए ब्लॉक लिए जाने के कारण इस रूट की गाड़ियों के संचालन पर असर पड़ा…
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जब स्किन केयर प्रोडक्ट्स की बात होती है तो उसमें रोज़ वाटर या नी गुलाब जल का नाम अवश्य लिया जाता है। अपनी स्किन को ठंडक पहुंचाने से लेकर उसे टोन व क्लीन करने के लिए भी गुलाब जल का इस्तेमाल किया जाता है। खासतौर से, गर्मी के दिनों में गुलाब जल का इस्तेमाल करना स्किन के लिए काफी अच्छा माना जाता है। अमूमन हम इसे स्किन पर ऐसे ही लगाते हैं या फिर किसी अन्य इंग्रीडिएंट के साथ इन्हें मिक्स करके अपनी स्किन पर अप्लाई करते हैं। हालांकि, ऐसे भी कई इंग्रीडिएंट होते हैं, जिनके साथ रोज वाटर को मिक्स नहीं करना चाहिए। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको ऐसे ही कुछ इंग्रीडिएंट्स के बारे में बता रहे हैं, जिनके साथ आपको गुलाब जल मिक्स नहीं करना चाहिए- एसेंशियल ऑयल के साथ ना करें मिक्स गुलाब जल को एसेंशियल ऑयल के साथ मिक्स करना बिल्कुल भी अच्छा आइडिया नहीं माना जाता है। हो सकता है कि कुछ लोगों को ऐसा करने से समस्या ना हो। लेकिन अगर किसी को फ्रेगरेंस से एलर्जी है या फिर अस्थमा की समस्या है तो इससे उन्हें परेशानी हो सकती है। इसलिए, बेहतर होगा कि आप एसेंशियल ऑयल के साथ गुलाब जल को मिक्स करने की भूल ना करें। बेकिंग सोडा आज के समय में हम बेकिंग सोडा को भी अपने स्किन केयर रूटीन का हिस्सा बनाते हैं। लेकिन बेकिंग सोडा के साथ गुलाब जल को मिक्स करना बिल्कुल भी अच्छा नहीं माना जाता है। दरअसल, बेकिंग सोडा का पीएच स्तर लेवल काफी हाई होता है और जब इसे गुलाब जल के साथ मिक्स किया जाता है तो इससे आपकी स्किन कठोर और रूखी हो जाती है। जिसके कारण आपको स्किन में जलन या इरिटेशन की समस्या हो सकती है। नींबू का रस नींबू का रस बहुत अधिक एसिडिक होता है, जिसके कारण इसके इस्तेमाल से स्किन पर जलन की समस्या हो सकती है। इसके साथ जब गुलाब जल को मिक्स किया जाता है, तो इससे स्किन में सेंसेटिविटी से लेकर जलन आदि की समस्या हो सकती है। एक्सफोलिएंट के साथ ना करें मिक्स कई बार हम एक्सफोलिएंट के साथ गुलाब जल को मिक्स करते हैं। जबकि हार्श एक्सफोलिएंट जैसे चीनी या नमक आदि को मिक्स नहीं करना चाहिए। ये आपकी स्किन में जलन और सूजन पैदा कर सकते हैं और कई तरह की अन्य समस्याओं का कारण भी बन सकते हैं।
View More Rose Water के साथ भूल से भी मिक्स ना करें ये चीजेंफोरलेन निर्माण के दौरान जंगलों और नदियों में मलबा फेंकने पर हाईकोर्ट सख्त, तलब की रिपोर्ट
शिमला हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने किरतपुर-मनाली फोरलेन निर्माण के दौरान जंगलों और नदियों में मलबा फेंकने पर कड़ा संज्ञान लिया है। अदालत ने केंद्र सरकार के पर्यावरण विभाग और एनएचएआई को आदेश दिए हैं कि वे शपथपत्र के माध्यम से बताएं कि ठेकेदार के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई है। अदालत ने राज्य सरकार को भी आदेश दिए हैं कि वह अदालत को बताएं कि लोनिवि के ठेकेदार को अवैध डंपिंग से रोकने के लिए क्या योजना बनाई जा रही है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 9 अगस्त को निर्धारित की है। अदालत ने आदेशों में कहा कि एनएचएआई के ठेकेदारों के साथ-साथ लोक निर्माण विभाग के ठेकेदार भी अवैध डंपिंग के लिए जिम्मेवार हैं। ठेकेदार नदियों के किनारे और पहाड़ियों पर अवैध डंपिंग कर रहे हैं। फोरलेन विस्थापित और प्रभावित समिति की याचिका पर अदालत ने यह आदेश पारित किए। मामले की सुनवाई के दौरान अदालत के बताया गया कि किरतपुर-नेरचौक फोरलेन निर्माण के दौरान एनएचएआई के ठेकेदार ने जंगल में मलबा फेंक दिया है। एनएचएआई ने शपथ पत्र के माध्यम से अदालत में माना कि 12 जून 2019 को डीएफओ बिलासपुर ने मलबे की अवैध डंपिंग की शिकायत की है। इसके लिए एनएचएआई ने 8,45,700 रुपये की राशि जुर्माने के तौर पर जमा करवा दी है। इसी फोरलेन निर्माण से जुड़े एक अन्य मामले में फोरलेन निर्माण के मलबे को गोबिंद सागर झील में ठिकाने लगाने का आरोप लगाया गया है। अदालत ने दोनों मामलों की सुनवाई एक साथ निर्धारित की है। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि गोबिंद सागर झील में
View More फोरलेन निर्माण के दौरान जंगलों और नदियों में मलबा फेंकने पर हाईकोर्ट सख्त, तलब की रिपोर्टबिजली परियोजनाओं से भी खोखले हो रहे हैं पहाड़, कमजोर होकर दरकने की यह भी एक वजह
कुल्लू उत्तर भारत को रोशन करने वाले जिला कुल्लू के बिजली प्रोजेक्टों के निर्माण से पहाड़ नाजुक होने लगे हैं। इससे पहाड़ कमजोर होकर दरकने लगे हैं। जिला कुल्लू में करीब 20 बिजली प्रोजेक्ट हैं। इसमें अधिकतर का निर्माण पूरा हो गया है। कुछ का निर्माण चल रहा है। जिले में बाह्य सराज आनी-निरमंड से लेकर मनाली तक हर नदी-नालों पर प्रोजेक्ट बने हैं। इसमें 10 के करीब बड़े प्रोजेक्ट हैं, जिसकी उत्पादन क्षमता 100 मेगावाट से अधिक है। इतने ही माइक्रो प्रोजेक्ट हैं। उसमें एक से पांच मेगावाट तक बिजली पैदा हो रही है। इन प्रोजेक्टों में दस से 12 सुरंगों को निर्माण किया गया है। हजारों के हिसाब से हर भरे पेड़ों को काटा गया है। इसकी एवज में कुछ ही पेड़ों को लगाया जाता है। ब्यास में बाढ़ से हिमाचल प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड का लारजी में 126 मेगावाट का प्रोजेक्ट पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। इसमें बिजली उत्पादन पूरी तरह से ठप है। 10 जुलाई को ब्यास, पार्वती, तीर्थन तथा सैंज नदी में आई बाढ़ से प्रोजेक्ट पूरी तरह तहस-नहस हो गया है। पावर हाउस में बाढ़ का पानी और मलबा घुसा है। प्रोजेक्ट को 658 करोड़ का नुकसान आंका गया है।
View More बिजली परियोजनाओं से भी खोखले हो रहे हैं पहाड़, कमजोर होकर दरकने की यह भी एक वजहशरीर के लिए बेहद जरूरी है आयोडीन
नई दिल्ली: आयोडीन हमारे शरीर के लिए बहुत ही जरूरी पोषक तत्व है। जो हमें कई खतरनाक बीमारियों से बचाता है। शरीर में इसकी कमी से अपच, थकान, कमजोरी और कई अन्य समस्याएं हो सकती हैं। आयोडीन का सबसे समृद्ध स्रोत नमक होता है। इसके अलावा भी और कई फूड्स हैं, जिन्हें आप अपनी डाइट में शामिल कर आयोडीन की कमी दूर कर सकते हैं। तो आइए जानते हैं आयोडीन की कमी से कौन-सी समस्याएं हो सकती हैं और शरीर में इसकी पूर्ति के लिए क्या खाएं। आयोडीन की कमी से होती हैं ये समस्याएं गर्भपात। मांसपेशियों में ऐठन। कब्ज की समस्या। ज्यादा ठंड लगना। याददाश्त कमजोर होना। कोलेस्ट्रॉल लेवल का बढ़ना। बच्चों के विकास में कमी। आयोडीन की कमी दूर करने के लिए खाएं ये फूड्स सी–फूड सी-फूड पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें आयोडीन की मात्रा पर्याप्त होती है। इसे खाने से आपकी मेमोरी बूस्ट होती है। शरीर में आयोडिन की कमी को दूर करने के लिए सी-फूड जरूर खाएं। कॉड फिश हमने आपको पहले ही बताया कि सी फूड में आयोडीन पाया जाता है। इन्हीं सी-फूड में शामिल कॉड फिश, जो आयोडीन का समृद्ध स्रोत है। इस फिश में आयोडीन की मात्रा सबसे ज्यादा पाई जाती है। शरीर में आयोडीन की पूर्ति के लिए डाइट में आप इस फीश को शामिल कर सकते हैं। दही दही सेहत का खजाना है। इसमें कई पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह प्रोटीन, कैल्शियम, पोटैशियम जैसे तत्वों से भरपूर होता है। इसके अलावा इसमें विटामिन-डी और आयोडीन की मात्रा भी पाई जाती है। दही पाचन को स्वस्थ रखने और आयोडीन की कमी भी दूर करता है। अंडे अंडे हेल्दी डाइट का अहम हिस्सा है। इसमें प्रोटीन की मात्रा भरपूर होती है। इसके अलावा अंडे में ओमेगा-3 फैटी एसिड, एंटी ऑक्सीडेंट और अन्य विटामिंस पाए जाते हैं। यह आयोडीन का भी अच्छा स्रोत है। ब्राउन राइस ब्राउन राइस सेहत के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। इसमें कैल्शियम, फाइबर और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। यह राइस आयोडीन का भी अच्छा स्रोत है। शरीर में आयोडीन की कमी के दूर करने के लिए ब्राउन राइस जरूर खाएं।
View More शरीर के लिए बेहद जरूरी है आयोडीनबची हुई ब्रेड को फेंकने के बजाय इन तरीकों से करें इस्तेमाल
नई दिल्ली: ब्रेड ज्यादातर घरों में इस्तेमाल होने वाला ब्रेकफास्ट का ईजी ऑप्शन है। जिसकी मदद से आप एक नहीं, बल्कि कई तरह की रेसिपीज़ बना सकते हैं और सिर्फ ब्रेकफास्ट ही नहीं, ब्रेड की मदद से टेस्टी डेजर्ट भी तैयार किए जा सकते हैं। इतने सारे ऑप्शन्स होने के बाद भी पैकेट में दो-चार ब्रेड पड़ी ही रह जाती है। जिसे बाद में फेंकने का ही ऑप्शन समझ आता है। ऐसे में लगता है कि काश किसी तरह से इसका इस्तेमाल किया जा सकता, तो इस तरह इन्हें फेंकना न पड़ता, तो आपकी इसी समस्या का समाधान हम लेकर आए हैं। जी हां, आज का लेख बची हुई ब्रेड का कैसे करें अलग-अलग तरीकों से यूज, इसके बारे में हैं। बनाएं ब्रेड क्रम्स पकौड़ों को क्रंची बनाने के लिए आपने देखा होगा लोग ब्रेड क्रम्स का यूज करते हैं, तो इसके लिए फ्रेश ब्रेड का इस्तेमाल करने की जगह बची हुई ब्रेड को यूज में लाएं और अगली बार जब आप पकौड़े बनाएं, तो हर किसी की तारीफ मिले। ग्रेवी गाढ़ी करने के लिए ग्रेवी वाली सब्जी बनाते वक्त कई बार सब्जी के हिसाब से उसमें पानी की मात्रा ज्यादा लगने लगती है। ऐसे में एक्स्ट्रा पानी को निकालने से स्वाद में कमी आ सकती है, तो ग्रेवी को गाढ़ा करने के लिए आप इन बची हुई ब्रेड्स का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप ग्रेवी में ब्रेड के छोटे छोटे टुकड़े डालें और कुछ देर ढंककर रख दें। उसके बाद सर्व करें। छोटी-मोटी भूख के लिए स्नैक्स बची हुई ब्रेड से आप शाम को लगने वाली छोटी-मोटी भूख के लिए मजेदार स्नैक्स भी तैयार कर सकते हैं। इसके लिए आप ब्रेड्स को छोटे-छोटे पीस में काट लें और उन्हें हल्का फ्राई कर लें। ऊपर से नमक, मिर्च और चाट मसाला छिड़कर सर्व करें। अतिरिक्त तेल- मसाला करें कम सब्जी या दाल में कई बार बनने के बाद तेल या मसाला ज्यादा लगता है फिर समझ ही नहीं आता कि इसे कैसे कम करें, तो इस समस्या का भी हल है ब्रेड। बची हुई ब्रेड को आप सब्जी की ग्रेवी के ऊपर रख दें इससे एक्स्ट्रा तेल आसानी से ब्रेड खींच लेगा और जो लबालब तेल नजर आ रहा था, वो एकदम बैलेंस नजर आएगा।
View More बची हुई ब्रेड को फेंकने के बजाय इन तरीकों से करें इस्तेमालब्लड शुगर कंट्रोल करने से लेकर पाचन को स्वस्थ रखने तक – मानसून में नाशपाती खाने के हैं अनगिनत फायदे
नई दिल्ली: मानसून के मौसम में सेहतमंद रहने के लिए डाइट पर ध्यान देना काफी जरूरी है। इस मौसम में कई तरह के इंफेक्शन और बीमारियां बढ़ने लगती हैं। ऐसे में आपको इस मौसम में कुछ खास फलों को डाइट में शामिल करना चाहिए, जो आपको बारिश में बीमारियों से दूर रखेंगे। इन्हीं खास फलों में शामिल है नाशपाती। यह फल पोषक तत्वों का खजाना है। इसमें विटामिन-सी, पोटैशियम, फोलेट, कॉपर, मैगनीज पर्याप्त होते हैं। यह आपको कई बीमारियों से बचाती हैं। तो आइए जानते हैं, नाशपाती खाने के क्या फायदे हैं। सूजन को कम करे कई बार पुरानी चोट या अन्य कारणों की वजह से सूजन की समस्या होती है। यह शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकती है। इससे बचने के लिए आप अपनी डाइट में नाशपाती शामिल कर सकते हैं। यह फ्लेवोनोइड्स का समृद्ध स्रोत है, जो शरीर के लिए एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है। इसमें विटामिन-सी और विटामिन-के भी पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं। ये शरीर के सूजन को दूर करते हैं। पाचन तंत्र को दुरूस्त रखे नाशपाती फाइबर से भरपूर होती है। जो मल त्याग को आसान बनाने में सहायक है। इससे कब्ज की समस्या दूर होती है। इसके अलावा, नाशपाती में मौजूद घुलनशील फाइबर आंत की सेहत में सुधार करता है। जिन लोगों को पाचन की समस्या है, वो अपनी डाइट में नाशपाती शामिल कर सकते हैं। डायबिटीज के मरीजों के लिए नाशपाती डायबिटीज के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है। इसमें एंथोसायनिन पर्याप्त होता है। यह एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है, जो डायबिटीज के खतरे को कम करता है। नाशपाती का ग्लाइसेमिक इंडेक्स भी कम होता है। इसे खाने से रक्त शर्करा का स्तर सामान्य रहता है। वजन कम करे नाशपाती में फाइबर प्रचुर मात्रा में होता है। यह पेट को लंबे समय तक भरा रखता है। इसमें कैलोरी की मात्रा भी कम होती है। जो वजन घटाने में सहायक है। दिल की सेहत के लिए फायदेमंद नाशपाती कई पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इसमें उच्च मात्रा में प्रोसायनिडिन होता है, जो एंटीऑक्सीडेंट का काम करता है। नाशपाती खाने से दिल से जुड़ी समस्या कम होती है। यह खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने और अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाने का भी काम करती है। इस फल के छिलके में क्वेरसेटिन उच्च मात्रा में पाया जाता है। जो हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है।
View More ब्लड शुगर कंट्रोल करने से लेकर पाचन को स्वस्थ रखने तक – मानसून में नाशपाती खाने के हैं अनगिनत फायदेमाथे पर एक्ने होने से खो गई है आपकी खूबसूरती, तो अपनाएं आसान तरीका
माथे पर होने वाले एक्ने काफी ज्यादा बेकार लगते हैं। लेकिन इसके होने का कारण किसी को समझ नहीं आता है। कई बार यह पिंपल इतने ज्यादा बढ़ जाते हैं कि किसी भी क्रीम या अन्य ब्यूटी प्रोडक्ट से भी सही नहीं किया जा सकता है। ऐसे में कई लोग घरेलू नुस्खे का इस्तेमाल करते हैं। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि माथे पर एक्ने की समस्या को कम करने के लिए कौन सी चीज फायदेमंद होता है। क्यों होते हैं माथे पर मुंहासे गंदगी, बैक्टीरिया और अतिरिक्त तेल से आपकी त्वचा के छिद्र बंद हो जाते हैं। जिसके कारण माथे पर मुंहासे हो जाते हैं। तैलीय स्किन अगर आपकी स्किन या फेस ऑयली है और खासतौर से टी-जोन पर अक्सर ऑयलीनेस फील होता है। जिसके कारण भी माथे पर एक्ने की समस्या होने लगती है। हार्मोनल बदलाव हार्मोन सेबम उत्पादन को उत्तेजित करने में मुख्य भूमिका निभाते हैं। हार्मोनल असंतुलन से आपके माथे पर एक्ने निकलने लगते हैं। खराब स्वच्छता अगर आप अपने फेस को अच्छे से साफ वहीं रखते हैं, तो मुंहासे की समस्या हो सकती है। अगर आप अपने चेहरे को नियमित रूप से नहीं धोते हैं, तो इससे फेस पर तेल जमा हो सकता है। जिसकी वजह से भी मुंहासे हो सकते हैं। हेयर प्रोडक्ट्स बालों के उत्पाद स्कैल्प को परेशान करते हैं। जिसकी वजह से आपके माथे पर मुंहासे निकल सकते हैं। अगर आप अपने बालों को नियमित रूप से नहीं धोती हैं, तो आपका स्कैल्प ऑयली होने लगती है। वहीं यह ग्रीस आपके माथे पर आ सकती है और रोम छिद्र बंद हो सकते हैं। ऑयली स्कैल्प और डैंड्रफ आपके स्कैल्प को डैंड्रफ ऑयली बना सकता है। माथे पर तेल फैलने से मुंहासे होने लगते हैं। माथे के मुंहासों के सबसे सामान्य कारणों में डैंड्रफ भी एक कारण है। टी ट्री ऑयल रेडनेस को भी कम करने में टी ट्री ऑयल काफी सहायक होता है। क्योंकि इस तेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीबैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। जो आपके माथे पर होने वाले पिंपल्स को कम करता है। सामग्री एलोवेरा जेल- 2-3 चम्मच टी ट्री ऑयल- 3-4 बूंद ऐसे करें अप्लाई एलोवेरा जेल और टी ट्री ऑयल को एक कटोरी में मिक्स कर अपने फेस पर अप्लाई करें। इसके बाद अपना चेहरे अच्छे से साफ कर लें। आप चाहें तो इसे लगाकर भी रह सकती हैं। इस प्रक्रिया को आपको रोज रात में करें और तब तक करते रहें, जब तक आपको रिजल्ट न मिलें। सेब का सिरका सेब के सिरके में जीवाणुरोधी गुण पाए जाते हैं। इससे आपके मुंहासे की समस्या कम हो सकती है। साथ ही यह आपके स्किन
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