अडानी सोलर ने बड़े आकार का एकल स्फटिक सिलिकॉन पिंड तैयार किया

अडानी समूह की फोटोवोल्टिक विनिर्माण और अनुसंधान इकाई अडानी सोलर ने बुधवार को कहा कि उसने देश में पहले बड़े आकार के मोनोक्रिस्टलाइन सिलिकॉन पिंड का विकास करने में सफलता हासिल की है।
मोनोक्रिस्टलाइन सिलिकॉन सिंगल क्रिस्टल (एकल स्फटिक) सिलिकॉन पिंड के रूप में जाने जाते हैं जो सौर ऊर्जा परियोजनाओं में प्रयुक्त होने वाली फोटो वोल्टाइक सेल के विनिर्माण में लगती हैं। कंपनी ने 2023 के अंत तक दो गीगावाट (दो हजार मेगावाट) क्षमता के लिए सिलकॉन पिंड और वैफर बनाने का लक्ष्य रखा है। इस क्षमता को 2025 तक 10 गीगावाट तक ले जाने का लक्ष्य है।
अडानी सोलर की सिलिकॉन इकाई का उद्घाटन अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी ने समूह के मुंद्रा स्थित परिसर में किया था।
कंपनी ने एक विज्ञप्ति में कहा है कि एकल स्फटिक सिलिकॉन का विनिर्माण देश में ही होने से नवीकरणीय ऊर्जा के उत्पादन को बल मिलेगा। कंपनी ने कहा है कि कंपनी द्वारा तैयार मोनोक्रिस्टलाइन सिल्लियां की दक्षता 21 प्रतिशत से 24 प्रतिशत के बीच है।
बयान में कहा गया है कि ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की आत्म निर्भरता के लक्ष्य की दिशा में यह महत्वपूर्ण प्रगति है। कंपनी ने अपना काम शुरू करने के लगभग सात महीने के रिकॉर्ड समय में इनगट लाइन इंफ्रास्ट्रक्चर के काम में ‘बैकवर्ड इंटीग्रेशन’ यानी बुनियादी चरणों की प्रक्रियाओं के समन्वयकरने वाली अदाणी सोलर भारत की पहली कंपनी है और मोनोक्रिस्टलाइन सिलिकॉन सिल्लियों का उत्पादन करने वाली देश की एकमात्र कंपनी है।
अडानी सोलर के मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी डॉ. पुनीत गुप्ता ने कहा,“हमने सेल से लेकर मॉड्यूल तक, सौर निर्माण के हर पहलू में उल्लेखनीय तकनीकी प्रगति की है, और हम अपने भविष्य के प्रयासों में अपनी पिछली सफलताओं को दोहराने का इरादा रखते हैं।”
उन्होंने कहा हम 10 गीगावाट सोलर पीवी मैन्युफैक्चरिंग का एक पूरी तरह से एकीकृत और व्यापक पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित करके इस व्यवसाय में त्वरित विकास हासिल करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं – एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र जो न केवल लंबवत एकीकृत लेकिन एक ही भूगोल में सभी सहायक इकाइयों को भी होस्ट करता है।
कंपनी ने कहा है कि अब जबकि कंपनी का प्रारंभिक उत्पादन शुरू हो चुका है, वह 2023 के अंत तक 2 गीगावाट की पिंड और वेफर क्षमता जोड़ने का लक्ष्य तय किया है। इसे 2025 तक यह 10 गीगावाट तक बढ़ाया जाएगा।

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