क्या जनता के वाहनों को अपनी इच्छा के स्क्रैप डीलर से स्क्रैप करवा कर उनका पैसा भी अपने पास रख लेना भारत के कानून के तहत हैं, ? बड़ा सवाल, संजय बाटला

क्या जनता के वाहनों को अपनी इच्छा के स्क्रैप डीलर से स्क्रैप करवा कर उनका पैसा भी अपने पास रख लेना भारत के कानून के तहत हैं, ? बड़ा सवाल, संजय बाटला

संजय बाटला

जनता के वाहनों के पैसे परिवहन आयुक्त ने स्क्रैप डीलरो द्वारा अपने बैंक खाते में जमा करवाए और जनता को नही दिए, आखिर क्यों?

दिल्ली परिवहन आयुक्त द्वारा अपने प्रिय बाहरी राज्यों में पंजीकृत वाहन स्क्रैप डीलरो को अपने पद की ताकत का प्रयोग कर जनता के वाहनों को उठाकर सुपूर्द कर देना और उन वाहनों के पैसे स्क्रैप डीलरो द्वारा परिवहन आयुक्त के नाम से चल रहे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के बैंक खाते संख्या 00000010577522233 में जमा करवा लेना वह भी इसलिए क्योंकि परिवहन आयुक्त के प्रिय स्क्रैप डीलरो ने जनता को स्क्रैप वाहनों के पैसे नही दिए।

विश्वस्त सूत्रों के द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार जनता के वाहनों के नाम के पैसे वाहन मालिकों को ना देकर स्क्रैप डीलरो ने परिवहन आयुक्त के कहने पर परिवहन आयुक्त के बैंक खाते में जमा करवा दिए हैं पर परिवहन आयुक्त द्वारा यह सूचना ना तो वाहन मालिको को दी गई और ना ही उनके वाहनों के पैसे वाहन मालिकों को दिए।

इसका अर्थ क्या माने, परिवहन आयुक्त ने जनता के वाहन अपनें प्रिय बाहरी राज्यों में पंजीकृत वाहन स्क्रैप डीलरो को इसी लिए पद की ताकत का दुरुपयोग कर सुपुर्द करवाए थे जिससे जनता के वाहनों के पैसे उनके खाते में आए

अब कृप्या दिल्ली के उपराज्यपाल, मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री, परिवहन मंत्री, न्यायिक मंत्री और शीर्ष अदालत यह बताए की क्या यह न्यायिक है और परिवहन आयुक्त के पद पर विराजमान अधिकारी द्वारा जनहित में किया हुआ कार्य हैं?

 

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