यूपी में आई विंड्स योजना: गांव-गांव में मिलेगी मौसम की सटीक जानकारी, 56 हजार गांवों में बनेंगे वेदर स्टेशन
लखनऊ
प्रदेश में 826 ब्लॉक व 57,702 ग्राम पंचायतें हैं। राजस्व विभाग 450 एडब्ल्यूएस व 2000 एआरजी स्थापित कर रहा है। हाल में ही इसके लिए कार्यदायी संस्था का चयन कर कार्यादेश जारी कर दिया गया है।
गांव-गांव तक मौसम की सटीक जानकारी आम लोगों तक पहुंचाने के लिए नई पहल शुरू हुई है। मौसम व राजस्व विभाग से छूटे 55,570 ग्राम पंचायतों व 308 ब्लॉकों में ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन (एडब्ल्यूएस) व ऑटोमेटिक रेनगेज (एआरजी) स्थापित होंगे। केंद्र सरकार की विंड्स (वेदर इन्फॉर्मेशन नेटवर्क डाटा सिस्टम) योजना के अंतर्गत यह काम होगा। इस काम पर होने वाले खर्च का फॉर्मूला तय हो गया है। यह काम केंद्र सरकार की मदद से राज्य का कृषि विभाग करेगा।
प्रदेश में 826 ब्लॉक व 57,702 ग्राम पंचायतें हैं। राजस्व विभाग 450 एडब्ल्यूएस व 2000 एआरजी स्थापित कर रहा है। हाल में ही इसके लिए कार्यदायी संस्था का चयन कर कार्यादेश जारी कर दिया गया है। इसके अलावा भारतीय मौसम विभाग ने 68 एडब्ल्यूएस व 132 एआरजी स्थापित कराए हैं। केंद्र सरकार के विंड्स कार्यक्रम के तहत प्रत्येक ब्लॉक में एक एडब्ल्यूएस व प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक एआरजी स्थापित करने का लक्ष्य है।
राजस्व व मौसम विभाग से छूटी 55,570 ग्राम पंचायतों व 308 ब्लॉकों में इनकी स्थापना के लिए स्थान चयन सबसे बड़ी चुनौती थी। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में सिद्धांत रूप में स्थान पर मुहर लगा दी है। राज्य सरकार ने विंड्स को नई योजना के रूप में लागू करने का फैसला किया है। इसके लिए धन की व्यवस्था बजट से की जाएगी।
ग्राम पंचायत भवनों के छत पर एआरजी लगेंगे
शासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एडब्ल्यूएस स्थापित करने के लिए सामान्यतया 5×7 वर्गमीटर व एआरजी के लिए 4×3 वर्गमीटर भूमि चाहिए। तय हुआ कि एडब्ल्यूएस ब्लॉक कार्यालय में और एआरजी की स्थापना ग्राम पंचायत भवनों के छत पर कराई जाए। एडब्ल्यूएस व एआरजी की देखभाल की जिम्मेदारी पंचायत स्तर पर नियुक्त पंचायत सेवक अथवा पंचायत मित्र को दी जाएगी। योजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिए पंचायत, राजस्व, ग्राम्य विकास व कृषि आदि विभागों के राज्य मुख्यालय पर कंट्रोल रूम भी बनाए जाएंगे।
विंड्स के अंतर्गत मिलने वाले डाटा के भुगतान का फार्मूला तय
2023-24 90 प्रतिशत 10 प्रतिशत
2024-25 80 प्रतिशत 20 प्रतिशत
2025-26 60 प्रतिशत 40 प्रतिशत
चतुर्थ वर्ष व आगे 50 प्रतिशत 50 प्रतिशत