युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ओमवीर ने दिया इस्तीफा, छह साल से पश्चिम उत्तर प्रदेश के थे अध्यक्ष

युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ओमवीर ने दिया इस्तीफा, छह साल से पश्चिम उत्तर प्रदेश के थे अध्यक्ष

लखनऊ
युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष (पश्चिम) ओमवीर यादव ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके पीछे लोकसभा चुनाव की तैयारी के वक्त संगठनात्मक चुनाव कराने पर नाराजगी है, लेकिन अंदरखाने में इसे लेकर हलचल मच गई है। ओमवीर का इस्तीफा युवक कांग्रेस के बीच आंतरिक कलह की ओर इशारा कर रही है।
युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष (पश्चिम) ओमवीर यादव ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। इसके पीछे लोकसभा चुनाव की तैयारी के वक्त संगठनात्मक चुनाव कराने पर नाराजगी है, लेकिन अंदरखाने में इसे लेकर हलचल मच गई है। ओमवीर का इस्तीफा युवक कांग्रेस के बीच आंतरिक कलह की ओर इशारा कर रही है। फिलहाल ओमवीर ने भावनात्मक पत्र के साथ अपना इस्तीफा युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय पदाधिकारियों, राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रदेश अध्यक्ष अजय राय सहित अन्य वरिष्ठ नेताओं को भेजा है।

 

प्रदेश में 21 सितंबर से युवक कांग्रेस की आनलाइन चुनाव प्रक्रिया शुरू हुई है। नवंबर तक सदस्यता अभियान के बाद दिसंबर में चुनाव होना है। इसमें प्रदेश अध्यक्ष, महासचिव, जिलाध्यक्ष और विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव कराया जा रहा है। इस बीच प्रदेश अध्यक्ष (पश्चिम) ओमवीर यादव ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राष्ट्रीय अध्यक्ष व प्रदेश अध्यक्ष सहित वरिष्ठ पदाधिकारियों को भेजे इस्तीफे में लिखा है कि लोकसभा चुनाव तक संगठनात्मक चुनाव पार्टी के लिए घातक साबित हो सकता है।

पत्र में बताया है कि वह 13 साल पहले युवक कांग्रेस में सियासी सफर शुरू किए और छह साल से प्रदेश अध्यक्ष हैं। कई राज्यों में विधानसभा चुनाव सिर पर है और लोकसभा चुनाव की तैयारी चल रही है। ऐसे में संगठनात्मक चुनाव की घोषणा करने से पहले उनसे एक बार भी पूछा नहीं गया। उनके ख्याल से इस वक्त संगठनात्मक चुनाव कराने से पदाधिकारियों के बीच आपसी टकराव होगा, जिसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ेगा। राजनीतिक हालात कांग्रेस के पक्ष में हैं। ऐसे में चुनाव कराने के बजाय युवाओं की पूरी ऊर्जा लोकसभा चुनाव में लगानी चाहिए। ताकि प्रदेश के नेताओं में किसी तरह की गुटबाजी न हो।

संगठनात्मक चुनाव से बढ़ी उदासी
ओमवीर ने पत्र में लिखा है कि युवक कांग्रेस के सदस्य हर आंदोलन में आगे रहे हैं। उनमें लड़ने का सपना है, लेकिन जब से लोकसभा चुनाव से पहले संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया शुरू की गई है तब से वे उदास हैं। यह उदासी पार्टी के लिए नुकसानदेह है। क्योंकि संगठनात्मक चुनाव में पार्टी के कार्यकर्ता अपने ही साथियों के सामने प्रतिद्वंदी की भूमिका में होंगे।

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