रामलला की प्राण प्रतिष्ठा: देश की समस्त परंपराओं का होगा समागम, हर वर्ग की भागीदारी की बन रही रणनीति

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा: देश की समस्त परंपराओं का होगा समागम, हर वर्ग की भागीदारी की बन रही रणनीति

लखनऊ
रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हर वर्ग व हर परंपरा के लोगों को शामिल करने की योजना बनाई जा रही है। इसके लिए गिरिवासी, वनवासी और जनजातीय समाज को भी आमंत्रण दिया जा रहा है।

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का समारोह भगवान श्रीराम की मर्यादा के अनुरूप होगा। समारोह में जन-जन के राम की परिकल्पना भी साकार होती नजर आएगी। सबके राम, सबमें राम… की अवधारणा पर हर वर्ग की भागीदारी समारोह में सुनिश्चित हो इसकी तैयारी की जा रही है। समारोह में देश की समस्त संत परंपराओं का समागम हो, इसे लेकर विश्व हिंदू परिषद ने कार्ययोजना तैयार करनी शुरू कर दी है।

 

 

 

विहिप के केंद्रीय मंत्री व अखिल भारतीय धर्माचार्य संपर्क प्रमुख अशोक तिवारी ने अमर उजाला से बात करते हुए बताया कि प्राण प्रतिष्ठा आयोजन में राममंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को हर स्तर पर संगठन का सहयोग प्राप्त होगा। संपर्क प्रमुखों द्वारा मठ-मंदिरों में निवास करने वाले संतों से संपर्क तो होगा ही, इसके अलावा वनवासी और गिरवासी क्षेत्रों में स्थित मंदिरों से भी संपर्क होगा।

 

उन्होंने बताया कि भगवान राम ने जिस प्रकार उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम के राज्यों में निवास करने वालों को अपने साथ जोड़कर रामराज्य की स्थापना की, ठीक उसी प्रकार इस समारोह के जरिए संपूर्ण राष्ट्र जुड़ने जा रहा है। पूजन उत्सव में प्रत्येक राज्य की सहभागिता हो इसके लिए हर पंथ, संप्रदाय और जातियों के संतों से संपर्क आवश्यक है। इसके लिए विहिप ने संपर्क प्रमुखों की एक टीम बनाई है जिसमें 300 कार्यकर्ता शामिल हैं। ये ऐसे कार्यकर्ता हैं जो प्रांत स्तर पर साधु-संतों से संपर्क करने का काम करते हैं। इन टीमों को जिला व प्रांतवार संतों से संपर्क की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। रामलला की प्राणप्रतिष्ठा का समारोह श्रीराम के राज्याभिषेक की तर्ज पर भव्य व ऐतिहासिक हो, ऐसी योजना-रचना बन रही है।

देश की 200 परंपराएं बनेंगी समारोह की साक्षी
अशोक तिवारी ने बताया कि हमारा प्रयास है कि देश की कोई भी धार्मिक व आध्यात्मिक परंपरा समारोह में शामिल होने से छूट न जाए। अनुमान है कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह में देश की करीब 200 परंपराओं का समागम होगा। बनवासी, गिरिवासी, तटीयवासी, द्वीप की परंपराएं, झारखंड, असम की जनजातीय परंपराओं के प्रमुखों को आमंत्रित किया जाएगा। छत्तीसगढ़ के रामनामी व सतनामी समाज को आमंत्रित किया जाएगा। वनवासी समाज के उत्थान के लिए व्यापक स्तर पर काम करने वाले गहरा गुरु को भी समारोह में आमंत्रित किया जाएगा। ऐसी कई अन्य परंपराओं को सूचीबद्ध कर उन्हें आमंत्रित करने की तैयारी है।
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