बसपा की रणनीति: अब आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों पर फोकस करेगी पार्टी, दलितों का छिटकना बना चिंता का विषय
लखनऊ
2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा को एक करोड़ 93 लाख वोट मिले थे। उस समय पार्टी को 19 सीटें मिली थीं। अब लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर बसपा ने कैडर कैंप शुरू किए हैं तो साफ कहा है कि सर्व समाज पर फोकस करना है।
बसपा सुप्रीमो मायावती।
लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी बसपा एक बार फिर से सवर्णों पर फोकस करेगी। खास तौर पर आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को जोड़ने की कवायद तेज करने की तैयारी की जा रही है। गांव चलो अभियान में भी इस पर जोर रहेगा। हालांकि बसपा ने अपने दलित वोट बैंक को रोकने के लिए विशेष तौर दलित बाहुल्य क्षेत्रों में कॉडर कैंप करने की रूपरेखा तैयार की है।
वर्ष 2007 के बाद चुनावों में लगातार मात खाती जा रही बसपा के सामने इस समय विकट स्थिति है। लगातार सोशल इंजीनियरिंग का सहारा लेती आ रही बसपा का यह फार्मूला वर्ष 2022 के चुनाव में भी बुरी तरह से फ्लॉप हो गया। बावजूद इसके कि इस चुनाव में बसपा को एक करोड़ 18 लाख वोट मिले लेकिन सीट बस एक ही जीत पाई। रसड़ा विधानसभा सीट पर केवल बसपा विजयी हुई। प्रदेश में दलित वोटरों की संख्या लगभग तीन करोड़ है। इसमें काफी वोट बसपा को मिलते रहे हैं पर अब यह वोट बैंक भी खिसक रहा है। घोसी के उपचुनाव में यह वोटर बड़ी संख्या में शिफ्ट हुआ। हालांकि इस चुनाव में बसपा ने अपना प्रत्याशी चुनावी मैदान में नहीं उतारा था, पर साथ ही बसपाइयों को वोट न देने या नोटा दबाने की अपील की थी। बड़ी संख्या में दलित वोट बैंक शिफ्ट होने से बसपा के रणनीतिकारों की नींद उड़ गई है।
गौरतलब है कि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में बसपा को एक करोड़ 93 लाख वोट मिले थे। उस समय पार्टी को 19 सीटें मिली थीं। अब लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर बसपा ने कैडर कैंप शुरू किए हैं तो साफ कहा है कि सर्व समाज पर फोकस करना है। इनमें खास तौर पर आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को भी जोड़ने को कहा गया है। इसके लिए इस वर्ग के पदाधिकारियों के लक्ष्य तय किए जा रहे हैं। गांव चलो अभियान में इस वर्ग के बाहुल्य गांवों में लगातार अभियान चलाने को कहा है।
दलित वोट बैंक खिसकने का डर
भले ही किसी भी अन्य वर्ग पर फोकस किया जा रहा हो पर बसपा की सबसे बड़ी चिंता यही है कि दलित वोटर स्थायी रूप से कहीं दूसरे दलों में शिफ्ट न हो जाएं। यही कारण है कि दलितों में लगातार कैंप करने को कहा है। शहर गांव दोनों में ही दलितों के बीच बसपाई लगातार कैंप कर रहे हैं। साथ ही इनके क्षेत्रों में काडर कैंपों का आयोजन लगातार करने को कहा है। हर विधानसभा क्षेत्र में इस बाबत अलग से कार्ययोजना बनाई जा रही है। इसमें युवाओं एवं महिलाओं को जोड़ते हुए नए सदस्य बनाने का लक्ष्य दिया जा रहा है। बूथ कमेटियों पर खास फोकस है।